Sunday, March 13, 2011

रंगों और उमंगों के त्यौहार होली की आमद है
नफ़रत और बैर-भाव बाक़ी ना रहे,, लोगों में अम्नो-अमान
और आपसी भाईचारा बना रहे...इन्ही दुआओं के साथ

आप सब को ढेरों मुबारकबाद




ग़ज़ल



जब करें वो , जीत की या हार की बातें करें
लोग, अब तो जंग की , हथियार की बातें करें


क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें


रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल ,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें


वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी

अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें


ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए

गीत की, संगीत की , झंकार की बातें करें

इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला

वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें


अब फ़क़त ये आस, लफ़्ज़ों तक रह जाए कहीं

ख़्वाब सच्चे हों , इसी आसार की बातें करें


है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर

हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें
करें




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तकरार=झगड़ा
वाजिब=उचित
ज़िक्र--जन्नत= स्वर्ग(काल्पनिक) लोक की चर्चाएं

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