tag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post4864879851715069750..comments2023-09-28T18:29:53.756+05:30Comments on tarz.e.byaaN: daanishhttp://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-42467544196236323712011-04-29T18:10:01.709+05:302011-04-29T18:10:01.709+05:30bahut khubbahut khubAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-72006976104477061462011-03-21T12:11:30.698+05:302011-03-21T12:11:30.698+05:30daanish aap ki poetry vaqt ke saath hai isme koi s...daanish aap ki poetry vaqt ke saath hai isme koi shak nahi. aap se contact kaise ho sakta hai?Prof.kamala Astro-Fengshui Vastu and Metaphysicshttps://www.blogger.com/profile/00521341609068732826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-15034675486001100182011-03-11T08:53:06.048+05:302011-03-11T08:53:06.048+05:30Kisko dekhiye, ki kisko dekhti hai badhawas yeh na...Kisko dekhiye, ki kisko dekhti hai badhawas yeh nazar<br />Jis bhi simat jaati hai, tujhko dhundhti hai nazar<br />Isi nazar ki wajah se nahin bhul paate hein woh nazar <br />Nazar se nazar milli thi ek baar phir na nazar aayee woh nazar<br /><br />Lagta hai mujhe Arse baad fursat milli hai. Apki rachnayein humesha man chhooti hein..Arunhttps://www.blogger.com/profile/08807244722086064505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-31285081727446716942011-03-10T08:04:20.335+05:302011-03-10T08:04:20.335+05:30ये भी पसंद है मगर इस से पहेले वाली...
"शिकाय...ये भी पसंद है मगर इस से पहेले वाली...<br /><br />"शिकायत भी, तकल्लुफ़ भी, बहाना भी"...बेहतरीन रही.Parasmanihttps://www.blogger.com/profile/07826784169363112240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-38251035719915784702011-03-08T12:41:24.730+05:302011-03-08T12:41:24.730+05:30"तेरी ज़िंदगी, हो वो ज़िंदगी, जो किसी के काम भी..."तेरी ज़िंदगी, हो वो ज़िंदगी, जो किसी के काम भी आ सके<br />तू बने, तो ऐसा उदाहरण , चहुँ ओर तेरे प्रसंग हों"- बहुत सुन्दर भाव हैं आपके. बधाई स्वीकारें - अवनीश सिंह चौहानअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-61962579880180174752011-03-07T12:06:02.876+05:302011-03-07T12:06:02.876+05:30इस नये साल की कामना ने दी है वह खुशी हमें,
हम झूम ...इस नये साल की कामना ने दी है वह खुशी हमें,<br />हम झूम उठे ऐसे कि गोया जन्मदिन का प्रसंग हो ।<br /><br />भाषाओं का खूबसूरत मिलन लिये हुए बढिया गज़ल ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-74401686459711313582011-03-03T23:36:39.091+05:302011-03-03T23:36:39.091+05:30यूँ फ़रोग़-ए-इल्म के वास्ते, जो कभी भी कोई कहे ग़ज...यूँ फ़रोग़-ए-इल्म के वास्ते, जो कभी भी कोई कहे ग़ज़ल<br />यही इल्तेजा है मेरे ख़ुदा, न रदीफ़-ओ-क़ाफ़िये तंग हों<br /><br />बहुत खूब...बहुत खूब....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-20051849277790688512011-03-01T21:58:26.658+05:302011-03-01T21:58:26.658+05:30किसी एक शेर को चुनना मेरे लिए मुनासिब नहीं होगा|
स...किसी एक शेर को चुनना मेरे लिए मुनासिब नहीं होगा|<br />सभी के सभी बेहतरीन हैं|Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-57638013833699914702011-03-01T18:42:22.758+05:302011-03-01T18:42:22.758+05:30बाऊ जी,
नमस्ते!
खालिस उर्दू और क्लिष्ट हिंदी को आप...बाऊ जी,<br />नमस्ते!<br />खालिस उर्दू और क्लिष्ट हिंदी को आपने यूँ मिलाया है जैसे ये कभी अलग थी ही नहीं!<br />आप तो बस आप हैं!<br />आशीषसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-5458093182169554932011-02-27T21:50:37.271+05:302011-02-27T21:50:37.271+05:30नयापन लिये ख़ूबसूरत ग़ज़ल... बहुत बधाई...नयापन लिये ख़ूबसूरत ग़ज़ल... बहुत बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-78649770867068076022011-02-26T01:25:40.163+05:302011-02-26T01:25:40.163+05:30खूबसूरत गज़ल...लाजवाब लिखते हों आप ...
.....है ह...खूबसूरत गज़ल...लाजवाब लिखते हों आप ...<br /><br /><br />.....है हवा जिधर की, उधर चलो<br />न तो ज़िंदगी में हों क़ायदे ,<br /> न उसूल कोई, न ढंग हों ...<br />कमाल ही कमाल !Shabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-36901237323570867322011-02-23T11:04:13.932+05:302011-02-23T11:04:13.932+05:30जब मैं इस तरही की उलझी बहर के साथ माथा-पच्ची कर रह...जब मैं इस तरही की उलझी बहर के साथ माथा-पच्ची कर रहा था और फिर बाद में पूरे तरही-मुशायरे पे आपके लगातार कमेंट पढ़ र्हा था तभी मन में ख्याल आया था कि इस जमीन पर दानिश साब जो कहते ग़ज़ल तो मजा आ जाता...और मजा आ गया! वल्ल्लाहssssss...तभी तो कहते हैं कि उस्ताद आखिर उस्ताद ही होता है।<br /><br />हिंदी के चंद अनूठे शब्द कि इस बहर पे बिठा कर आपने हमें नत-मस्तक कर दिया है गुरूवर! और ये शेर "यूँ फ़रोग़-ए-इल्म के वास्ते, जो कभी भी कोई कहे ग़ज़ल/यही इल्तेजा है मेरे ख़ुदा, न रदीफ़-ओ-क़ाफ़िये तंग हो" तो हम जैसे तमा नौसिखिये शायरों का दर्द समेटे हुये है।<br /><br />और इस शेर "मेरे स्वप्न शिल्प में जब ढलें , मेरा शब्द-शब्द सृजन रचे/मिले कल्पना को इक आकृति, भले भाव मन के अनंग हों" पर जितनी दाद दी जाए कम होगी....<br /><br />मजा आ गया सर पूरी ग़ज़ल....सुबह बन गयी हमारी...दिन बन गया हमारा!!गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-66781863921767259422011-02-22T23:28:19.467+05:302011-02-22T23:28:19.467+05:30bahut sundar bhvabhivyakti.bahut sundar bhvabhivyakti.Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-43103367723801166712011-02-22T20:40:36.046+05:302011-02-22T20:40:36.046+05:30यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो
न ...यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो<br />न तो ज़िंदगी में हों क़ायदे , न उसूल कोई, न ढंग हों <br /><br />दिल की बात कह दी दानिश साहिब आपने तो.<br />बहुत उम्दा ग़ज़ल.<br />सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-83089223989691291352011-02-22T18:59:48.232+05:302011-02-22T18:59:48.232+05:30दानिश साहब पहलीबार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.. बहुत खू...दानिश साहब पहलीबार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.. बहुत खूबसूरत लिखते हैं आप.. ग़ज़ल के बारे में कुछ भी नहीं पाता बस जो दिल को छू जाये वही ग़ज़ल... यह शेर दिल में बस गया..<br />"यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो<br />न तो ज़िंदगी में हों क़ायदे , न उसूल कोई, न ढंग हों""अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-46542739126132057282011-02-22T18:32:18.322+05:302011-02-22T18:32:18.322+05:30यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो
न ...यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो<br />न तो ज़िंदगी में हों क़ायदे , न उसूल कोई, न ढंग हों<br /><br />वाह जनाब वाह...कितनी सच्ची बात कही है आपने...इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-77705337393658222612011-02-22T15:16:29.960+05:302011-02-22T15:16:29.960+05:30दानिश जी, संस्कृत और उर्दू को मिलाकर क्या खूबसूरत ...दानिश जी, संस्कृत और उर्दू को मिलाकर क्या खूबसूरत गज़ल की सृष्टि की है आपने ।<br />मेरे स्वप्न शिल्प में जब ढलें , मेरा शब्द-शब्द सृजन रचे<br />मिले कल्पना को इक आकृति, भले भाव मन के अनंग हों<br />ये शेर तो बहुत ही अच्छा लगा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-45880547552277387382011-02-22T09:08:23.552+05:302011-02-22T09:08:23.552+05:30@ जनाब दानिश साहब ! आपके लेख को देखा तो अच्छा लगा ...@ जनाब दानिश साहब ! आपके लेख को देखा तो अच्छा लगा और दिल चाहा कि आप इतनी प्यारी रचनाओं को फोरम के पाठकों को भी पढ़वाएं ।<br /><br /><b>एक आमंत्रण सबके लिए</b><br />क्या आप हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल के सदस्य बनना पसंद फ़रमाएंगे ?<br />अगर हॉ तो अपनी email ID भेज दीजिए ।<br />eshvani@gmail.com<br />धन्यवाद !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-16851911425788403472011-02-22T09:06:17.269+05:302011-02-22T09:06:17.269+05:30This comment has been removed by the author.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-55691112058409780912011-02-22T06:11:22.540+05:302011-02-22T06:11:22.540+05:30बहुत खूब !
एक ख्याल ये कि अगर मिसरा = मिश्रा हो ...बहुत खूब !<br /><br /><br />एक ख्याल ये कि अगर मिसरा = मिश्रा हो तो ...<br />उनके मिश्रा को पांडित्य से भर दिया आपने :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-324991041001233642011-02-21T20:40:01.554+05:302011-02-21T20:40:01.554+05:30चलो 'दानिश' अब ये दुआ करें , हों सभी दिलों...चलो 'दानिश' अब ये दुआ करें , हों सभी दिलों में ये ख्वाहिशें<br />हो कोई भी दुःख, सभी साथ हों, हो कोई ख़ुशी, सभी संग हों <br /><br />गज़ब की ख्वाहिश और दुआ. हमारी भी इल्तिजा की आप ऐसे ही बढ़िया ग़ज़लों से रूबरू कराते रहें. शुक्रिया.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-76849959193817448042011-02-21T20:32:13.615+05:302011-02-21T20:32:13.615+05:30तेरी ज़िंदगी, हो वो ज़िंदगी, जो किसी के काम भी आ स...तेरी ज़िंदगी, हो वो ज़िंदगी, जो किसी के काम भी आ सके<br />तू बने, तो ऐसा उदाहरण , चहुँ ओर तेरे प्रसंग हों<br /><br />गंगा-जमुनी भाषा के प्रयोग से ग़ज़ल की सुंदरता में इज़ाफा हुआ है। <br /><br />हर शे‘र पाठक से मुखातिब है, कुछ कह रहा है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-79242437260027203552011-02-21T19:13:18.010+05:302011-02-21T19:13:18.010+05:30तू बने, तो ऐसा उदाहरण , चहुँ ओर तेरे प्रसंग हों
य...तू बने, तो ऐसा उदाहरण , चहुँ ओर तेरे प्रसंग हों<br /><br />ये आपके लिए .......हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-35604838116039488832011-02-21T17:44:23.767+05:302011-02-21T17:44:23.767+05:30हों बुझे-बुझे, कि खिले-खिले, वो बने रहें, या कि भं...हों बुझे-बुझे, कि खिले-खिले, वो बने रहें, या कि भंग हों<br />तेरी सोच के सभी सिलसिले, तेरे अपने मन की तरंग हों<br /><br />Ek bahut hi sundar rachna. SHabd aur bhawon ka anupam sangam.<br />Dil ko chhu gayi Daanish ji apki ye rachna.<br /><br />--MayankAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-53038407150868088372011-02-21T14:44:08.820+05:302011-02-21T14:44:08.820+05:30यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो
न ...यही चाहते हैं सब आजकल , है हवा जिधर की, उधर चलो<br />न तो ज़िंदगी में हों क़ायदे , न उसूल कोई, न ढंग हों.....<br /><br />क्या हकीकत बयान की है साहब...<br /><br />यूँ फ़रोग़-ए-इल्म के वास्ते, जो कभी भी कोई कहे ग़ज़ल<br />यही इल्तेजा है मेरे ख़ुदा, न रदीफ़-ओ-क़ाफ़िये तंग हों<br /><br />आमीईईईईईन................!!!!!!!<br /><br />मेरे स्वप्न शिल्प में जब ढलें , मेरा शब्द-शब्द सृजन रचे<br />मिले कल्पना को इक आकृति, भले भाव मन के अनंग हों<br /><br /><br />इस शे'र के साकार होने की जाने कितने वक़्त से राह देख रहे हैं हम...<br /><br /><br />एक नए ढंग की ग़ज़ल ...खूबसूरत शब्दों का मनमोहक प्रयोग..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.com