tag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post6275859650020767010..comments2023-09-28T18:29:53.756+05:30Comments on tarz.e.byaaN: daanishhttp://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-110887529755688562011-01-25T23:14:14.007+05:302011-01-25T23:14:14.007+05:30bahut khoob.....
khoobsoorat.....!!!bahut khoob.....<br />khoobsoorat.....!!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-84869098746662811672011-01-25T23:14:10.769+05:302011-01-25T23:14:10.769+05:30bahut khoob.....
khoobsoorat.....!!!bahut khoob.....<br />khoobsoorat.....!!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-30200070918992422362010-10-16T18:31:28.702+05:302010-10-16T18:31:28.702+05:306.5/10
बेहतरीन ग़ज़ल
कई शेर याद रखे जाने लायक6.5/10<br /><br /><br />बेहतरीन ग़ज़ल <br />कई शेर याद रखे जाने लायकउस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-33306097611448633132010-10-14T23:16:22.812+05:302010-10-14T23:16:22.812+05:30bahot achchi lagi.bahot achchi lagi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-65044487389610807142010-10-14T22:50:35.340+05:302010-10-14T22:50:35.340+05:30.
किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा
ज़माने में जो, ....<br /><br />किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा<br />ज़माने में जो, कुछ नया कर चले..<br /><br />हर पंक्ति लाजवाब है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-69099002865232981482010-10-13T21:18:39.920+05:302010-10-13T21:18:39.920+05:30हम अपनी यूँ हस्ती मिटा कर चले
मुहव्बत को रूतबा अता...हम अपनी यूँ हस्ती मिटा कर चले<br />मुहव्बत को रूतबा अता कर चले..<br /><br /><br />Beautiful couplets !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-36078851033550890502010-10-13T20:59:37.636+05:302010-10-13T20:59:37.636+05:30किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा
ज़माने में जो, कुछ...किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा<br />ज़माने में जो, कुछ नया कर चले<br /><br />ख़ुदा तो सभी का मददगार है<br />बशर्ते, बशर इल्तिजा कर चले<br /><br />वाह वाह वाह <br />बहुत प्यारी ग़ज़ल है आपकी. सादगी से शेर कह जाना एक कला है, और वो कला आप में है.<br />मेरी ग़ज़ल की आपने सराहना की,आभारी हूँ.<br /><br />कुँवर कुसुमेशKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-37858452692450069592010-10-13T10:04:54.605+05:302010-10-13T10:04:54.605+05:30कितनी खूबसूरत गज़ल है !
हर शेर पर बस वाह वाह वाह !कितनी खूबसूरत गज़ल है !<br />हर शेर पर बस वाह वाह वाह !Priyanka Sonihttps://www.blogger.com/profile/15984049412165820406noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-85867969167629962512010-10-11T19:41:44.767+05:302010-10-11T19:41:44.767+05:30वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं
समंदर पे सब कुछ लुटा ...वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br /><br /> - बहुत तीखा और सुन्दर |hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-25840318130342794142010-10-09T02:03:06.308+05:302010-10-09T02:03:06.308+05:30इसे, उम्र भर ही शिकायत रही
बहुत ज़िन्दगी को मना कर ...इसे, उम्र भर ही शिकायत रही<br />बहुत ज़िन्दगी को मना कर चले ।<br />यह तो हार का एक मोती है । वैसे तो सारे का सरा हार ही बहुत कीमती है । बेहद उम्दा गज़ल ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-2618084194034918512010-10-09T00:59:24.895+05:302010-10-09T00:59:24.895+05:30चकाचौंध के इस छलावे में हम
खुद अपना ही विरसा भुला ...चकाचौंध के इस छलावे में हम<br />खुद अपना ही विरसा भुला कर चले<br />बहुत उम्दा शेर है.<br />*ख़ूबसूरत ग़ज़ल.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-68226391573992110892010-10-07T17:30:38.869+05:302010-10-07T17:30:38.869+05:30इसे, उम्र भर ही शिकायत रही
बहुत ज़िन्दगी को मना कर...इसे, उम्र भर ही शिकायत रही<br />बहुत ज़िन्दगी को मना कर चले<br /><br />वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले ...<br /><br />सादा और सरल ग़ज़ल कहने में आपका कोई सानी नही है ..<br />नये ख़यालात और लाजवाब तरीके से पेश करने का अंदाज़ ... मज़ा आ जाता है आपको पढ़ कर ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-21770641072815343822010-10-04T19:24:08.543+05:302010-10-04T19:24:08.543+05:30वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं
समंदर पे सब कुछ लुटा ...वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br /><br />बेहतरीन !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-4984759747938512282010-10-04T16:55:35.103+05:302010-10-04T16:55:35.103+05:30चकाचौंध के इस छलावे में हम
खुद अपना ही विरसा भुला ...चकाचौंध के इस छलावे में हम<br />खुद अपना ही विरसा भुला कर चले<br /><br />किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा<br />ज़माने में जो, कुछ नया कर चले<br /><br />bahut khoob ...<br /><br />gazal mein gazab ki taaseer ...Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-8927909858579239392010-10-03T23:50:17.653+05:302010-10-03T23:50:17.653+05:30bahot achche.bahot achche.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-24775867963839281792010-10-03T18:23:02.505+05:302010-10-03T18:23:02.505+05:30ग़ज़ल पढ़ी और बेतरह पढ़ी..पढ़ते हुए मीर साब की वह क्लास...ग़ज़ल पढ़ी और बेतरह पढ़ी..पढ़ते हुए मीर साब की वह क्लासिक ग़ज़ल भी लता जी की आवाज मे जैसे कानो मे घुलती सी गयी..बहर ही इतनी पुरकशिश है कि अशआर तो कयामत होने ही थे...एक से एक..किसे गुनगुनाऊँ किसे छोड़ दूँ<br />कैसी तो यह बात है..<br />वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br />और फिर इन दो शे’रों का पुरमआनी कान्ट्रस्ट<br />इसे, उम्र भर ही शिकायत रही<br />बहुत ज़िन्दगी को मना कर चले <br />और<br />कब इस का मैं 'मुफ़लिस' भरम तोड़ दूँ<br />मुझे ज़िन्दगी आज़मा कर चले<br /><br />और क्या कहूँ..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-39218836896223313082010-10-03T16:04:29.820+05:302010-10-03T16:04:29.820+05:30Bahut khubsurat Gazal...Bahut khubsurat Gazal...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-17565034859301319142010-10-02T09:29:24.440+05:302010-10-02T09:29:24.440+05:30ये खूबसूरत ग़ज़ल पढके वो खूबसूरत ज़माना याद हो आया......ये खूबसूरत ग़ज़ल पढके वो खूबसूरत ज़माना याद हो आया...अपना एक कमबख्त सा शे'र भी टूटके याद आ रहा है..जिसे आज तक उलट-पुलट कर देख रहे हैं हम...<br /><br /><br />खफा 'बेतख्ल्लुस' है उनसे तो, फिर<br /><br />ज़माने से क्यूँ मुंह बना कर चले..<br /><br />या<br /><br /><br />खफा 'बेतख्ल्लुस' से है वो तो, फिर<br /><br />ज़माने से क्यूँ मुंह बना कर चले....<br /><br />आपने भी कोई मदद नहीं की ना....!!<br />:(<br /><br /><br />हम अपनी यूँ हस्ती मिटा कर चले<br />मुहव्बत को रूतबा अता कर चले<br /><br />तीसरा मतला खूब कहा है...<br /><br /><br />और <br /><br /><br />लबे-बाम है वो , मगर हुक़्म है<br />चले जो यहाँ, सर झुका कर चले ...<br /><br />क्या बेचारगी है...जरूरत ही क्या लबे-बाम आने की...अपने दिल का हाल कहता शे'र..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-38576692004258469272010-10-02T09:28:38.901+05:302010-10-02T09:28:38.901+05:30ये खूबसूरत ग़ज़ल पढके वो खूबसूरत ज़माना याद हो आया......ये खूबसूरत ग़ज़ल पढके वो खूबसूरत ज़माना याद हो आया...अपना एक कमबख्त सा शे'र भी टूटके याद आ रहा है..जिसे आज तक उलट-पुलट कर देख रहे हैं हम...<br /><br /><br />खफा 'बेतख्ल्लुस' है उनसे तो, फिर<br /><br />ज़माने से क्यूँ मुंह बना कर चले..<br /><br />या<br /><br /><br />खफा 'बेतख्ल्लुस' से है वो तो, फिर<br /><br />ज़माने से क्यूँ मुंह बना कर चले....<br /><br />आपने भी कोई मदद नहीं की ना....!!<br />:(<br /><br /><br />हम अपनी यूँ हस्ती मिटा कर चले<br />मुहव्बत को रूतबा अता कर चले<br /><br />तीसरा मतला खूब कहा है...<br /><br /><br />और <br /><br /><br />लबे-बाम है वो , मगर हुक़्म है<br />चले जो यहाँ, सर झुका कर चले ...<br /><br />क्या बेचारगी है...जरूरत ही क्या लबे-बाम आने की...अपने दिल का हाल कहता शे'र..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-41633036032915899442010-09-30T23:11:51.121+05:302010-09-30T23:11:51.121+05:30जो सच से ही नज़रें बचा कर चले
समझ लो वो अपना बुरा क...जो सच से ही नज़रें बचा कर चले<br />समझ लो वो अपना बुरा कर चले<br />जी समझ लिया .....<br /><br />इसे, उम्र भर ही शिकायत रही<br />बहुत ज़िन्दगी को मना कर चले<br />बस थोडा और मना लीजिये .....<br /><br />वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br />बादलों ने लुटाया भी तो समंदर पे .....?<br />किसी नदिया पे तो नहीं ....<br />इसलिए तो इन्हें आवारा फरेबी कहा जाता है .....<br /><br />किताबों में चर्चा उन्हीं की रहा<br />ज़माने में जो, कुछ नया कर चले<br />जी.... जैसे हीर राँझा की मौत ....<br />यहाँ रहा को रही कर लें ...जल्दीबाजी में शायद रह गया ....<br /><br />एक शानदार ग़ज़ल ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-29131852076954536242010-09-30T14:12:51.586+05:302010-09-30T14:12:51.586+05:30नमस्कार मुफलिस जी,
बहुत उम्दा शेर कहें हैं,
"...नमस्कार मुफलिस जी,<br />बहुत उम्दा शेर कहें हैं,<br />"लबे-बाम हैं वो, मगर हुक़्म है<br />चले जो यहाँ, सर झुका कर चले"<br /><br />"चकाचौंध के इस छलावे में हम<br />खुद अपना ही विरसा भुला कर चले"<br /><br />आप के अशआर पढ़ कर सोच को एक नया नजरिया मिलता है.Ankithttps://www.blogger.com/profile/08887831808377545412noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-2997662431170500452010-09-29T23:15:03.545+05:302010-09-29T23:15:03.545+05:30वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं
समंदर पे सब कुछ लुटा...वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br /><br />चकाचौंध के इस छलावे में हम<br />खुद अपना ही विरसा भुला कर चले<br />bahut sunderS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-33588136471633381422010-09-29T18:30:40.069+05:302010-09-29T18:30:40.069+05:30वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं
समंदर पे सब कुछ लुटा ...वो बादल ज़मीं पर तो बरसे नहीं<br />समंदर पे सब कुछ लुटा कर चले<br />हर शेर बेमिसाल है। बहुत अच्छी ग़ज़ल है.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-73454096292403082982010-09-29T17:47:38.435+05:302010-09-29T17:47:38.435+05:30बहुत खूबसूरत गज़ल लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!ब...बहुत खूबसूरत गज़ल लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7679186240872452815.post-91279644217142502552010-09-29T12:19:32.293+05:302010-09-29T12:19:32.293+05:30bus ek do aur
Na raunk e rukhsaar rahi na liba...bus ek do aur <br /><br /><br /> Na raunk e rukhsaar rahi na libaas mein burqa unke<br /> Makeup ne kha liya kuchh unko ajaadi ki tehreer ne <br /><br /> Zikar e mohabbat hai hota har gali kuche mein aaj <br /> Kahaan reh gaye woh, mere desh ka charcha karne wale <br /><br />kindly excuse for sharing here but i m slow on my blog updateArunhttps://www.blogger.com/profile/08807244722086064505noreply@blogger.com