tarz.e.byaaN
Saturday, July 8, 2017
फ़ुर्सत कहाँ कि ख़ुद से कोई बात कर सके
ये है तरक़्क़ी-याफ़्त: इन्सान आजकल
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1 comment:
dr.sunil k. "Zafar "
said...
बहुत खूब.
March 26, 2018 at 12:17 PM
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1 comment:
बहुत खूब.
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