Saturday, June 13, 2009

जून माह में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है

५ जून, सिर्फ एक ही दिन न बन के रह जाये ।

पर्यावरण की सुरक्षा हम सब का नैतिक कर्त्तव्य है ।

इस हाई-टेक दौर में प्रकृति का क्षरण करना ही

मनुष्य उन्नति करना समझ रहा है ।

तो.....आईये कुछ सोचें,,,विचार करें .....

ये कुछ शब्द हैं....आप तक पहुंचेंगे तो शायद संदेश भी बन पाएं ।





जागो ! संभलो !!




प्रश्न करते हैं अब

पेड़ , पौधे , वन-जंगल

जिन्हें अंधाधुंध काट कर

इतरा रहा है इंसान ..... अपनी प्रगति पर

हरियाली , छाँव , फूलों के सिंगार की जगह

पनप रहे हैं कंक्रीट के जंगल

जिनमें तरस रहा है जीवन

प्राण वायु के लिए ।



फरियाद करती है अब

कलकल बहती स्वच्छ पारदर्शी नदियाँ

जिनमें पल पल ज़हर घोल रही हैं

हमारी रासायनिक असावधानियां , कुव्यवस्थित प्रणालियाँ

जिस से कुपोषित हो रही है जीवन-शैली ।



आह्वान करती हैं

मंद-मंद बहती शीतल हवाएं

जिन में घुल रहा है ज़हरीला, तेज़ाबी धुआँ

प्रदुषण का, बारूदी परीक्षणों का

जिस से छटपटा रहा है

उपभोक्तावाद का आधुनिक प्राणी ।



आज ........

चेता रहे हैं सब

हवा , पानी , पेड़-पौधे..... सारी प्रकृति

सावधान कर रहे हैं इंसान को

जागो ! संभलो !!

..पर्यावरण संभालो !!!

वरना ...... बहुत देर हो जायेगी .......

नही रहेगा फिर सुरक्षा - कवच

और ... न ही रहेगी...... जीवन की सुरक्षा ।



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