पिछले कुछ दिनों से शहर में हर तरफ क्रिसमस की
धूम नज़र आ रही है ...जगह जगह बड़े बड़े स्टार सजे
हुए हैं ...बड़े-बड़े सांता कलाउज़ बने इठला रहे हैं ...
गिरजा घरों की रौनक़देखने लायक़ है ... मानो एक
बहुत बड़ा उत्सव सभी के मन में समाए जा रहा है ....
carols और chimes की गूँज के स्वर तरंगित करते हैं
प्रभु यीशु की महिमा का गुणगान भी हो रहा है ..........
चलिए , एक नगमा हम सब मिल कर गुनगुनाएं .................
(हाजत-रवा अर्थात ज़रूरतें पूरी करने वाला,, बाक़ी कुछ
शब्दार्थ नीचे दिए हैं)
---------------------------------------------------
यीशु सब का हाजत-रवा बन के आया
किसी के दुखों की दवा बन के आया
किसी की ख़ुशी का पता बन के आया
हमेशा नया रास्ता बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा बन के आया ....
मिले इब्ने-मरियम की शफ़क़त मुझे भी
अता हो ख़ुदा तेरी रहमत मुझे भी
जियारत करूँ है ये चाहत मुझे भी
मेरी ख्वाहिशों की सदा बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा ...........
तेरा फैज़ है तो , हर इक दिलकशी है
सुकूँ है दिलों को , मुसलसल खुशी है
धड़कती हुई हर तरफ ज़िन्दगी है
फ़िज़ाओं में हर सू ज़िया बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा ..............
ज़मीं से फ़लक तक , तेरा नाम दाता
मुबारक , मुक़द्दस ये इल्हाम दाता
हर इक सम्त पहुंचे ये पैग़ाम दाता
मेरे क़ौल का आसरा बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा ..............
हमेशा ही इंसानियत, मुद्दआ हो
सभी में हो बरक़त , सभी का भला हो
ख़ुदा की इबादत हो , हम्दो-सना हो
वो 'दानिश' के लब पे दुआ बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा बन के आया
_____________________________________
हाजत-रवा= ज़रूरतें पूरी करने वाला
इब्ने-मरियम= मरियम का बेटा
शफ़क़त=कृपा
अता=दान, मिले
रहमत=दया
ज़ियारत=तीरथ
सदा=आवाज़
फैज़=उपकार/कृपा
मुसलसल=लगातार
हर सू=हर तरफ
ज़िया=प्रकाश
मुक़द्दस=पवित्तर
इल्हाम=ईश्वरीय सन्देश
सम्त=दिशा
क़ौल=वचन
हमद-ओ-सना=इश्वर स्तुति/गान
______________________________________
______________________________________
Thursday, December 24, 2009
Tuesday, December 15, 2009
पिछ्ला हफ्ता दिल्ली और अलवर (राजस्थान)
में गुज़रा ...दिल्ली में डॉ दरवेश भारती ,
श्री प्रेम सहजवाला, श्री जगदीश रावतानी, श्री शैलेश भारतवासी
(सभी ब्लोग्गेर्स ,हिंद-युग्म) से मुलाक़ात का सबब हुआ ....
और अलवर में एक साहित्यिक गोष्ठी में देश के प्रख्यात साहित्यकार
डॉ विनय मिश्र , श्रीमती राज गुप्ता , श्रीमती नीरू , श्री रामचरण राग,
तथा कुछ अन्य (कोई भी ब्लोगर नहीं) ....इन सब से
विचार-विमर्श का सौभाग्य प्राप्त हुआ ....
और अब आप सब से मुखातिब हूँ ....
धीरे-धीरे आप सब की रचनाएं पढ़ना चाहूँगा....
और ये ...आप हज़रातके लिए.....
पहचान
माना !
किन्ही मजबूरियों
और अपनी जिम्मेदारियों को
निभाते रहने की हालत में
मुमकिन नहीं
हर पल ,
हमेशा ,
दूसरों का भला कर पाना
लेकिन......
मुमकिन है यह
हर पल ,
हमेशा ,
ख़याल रखना इस बात का
किसी का दिल न दुखने पाए
किसी का बुरा न होने पाए ...
ऐसी कोशिशें
करते रहना भी तो
दूसरों का
भला कर पाने के समान ही है
आख़िर.....
ख़ुद को
अपनी पहचान
हमें ख़ुद ही देनी है ......!!
__________________________
में गुज़रा ...दिल्ली में डॉ दरवेश भारती ,
श्री प्रेम सहजवाला, श्री जगदीश रावतानी, श्री शैलेश भारतवासी
(सभी ब्लोग्गेर्स ,हिंद-युग्म) से मुलाक़ात का सबब हुआ ....
और अलवर में एक साहित्यिक गोष्ठी में देश के प्रख्यात साहित्यकार
डॉ विनय मिश्र , श्रीमती राज गुप्ता , श्रीमती नीरू , श्री रामचरण राग,
तथा कुछ अन्य (कोई भी ब्लोगर नहीं) ....इन सब से
विचार-विमर्श का सौभाग्य प्राप्त हुआ ....
और अब आप सब से मुखातिब हूँ ....
धीरे-धीरे आप सब की रचनाएं पढ़ना चाहूँगा....
और ये ...आप हज़रातके लिए.....
पहचान
माना !
किन्ही मजबूरियों
और अपनी जिम्मेदारियों को
निभाते रहने की हालत में
मुमकिन नहीं
हर पल ,
हमेशा ,
दूसरों का भला कर पाना
लेकिन......
मुमकिन है यह
हर पल ,
हमेशा ,
ख़याल रखना इस बात का
किसी का दिल न दुखने पाए
किसी का बुरा न होने पाए ...
ऐसी कोशिशें
करते रहना भी तो
दूसरों का
भला कर पाने के समान ही है
आख़िर.....
ख़ुद को
अपनी पहचान
हमें ख़ुद ही देनी है ......!!
__________________________
Subscribe to:
Posts (Atom)