Wednesday, November 24, 2010

शेक्सपियर ने कहा था ..."व्हाट इज़ इन नेम ( नाम में क्या रखा है)"
उनका ये कथन बहुत जल्द एक मुहावरा-सा बन गया,,,
फिर कई सालों बाद स्विटज़रलैंड के किसी रचनाकार से बात करते हुए
विख्यात लेखक खुशवंत सिंह ने कहा.. "नाम ही में बहुत कुछ रक्खा है"
ये कथ्य बस स्तम्भ-लेख का हिस्सा भर रहा...
गुलज़ार साहब का मानना ये रहा कि "नाम गुम जाएगा...."
और एक ये लोकोक्ति "नाम बड़े और दर्शन छोटे.."
अदाकारा मीना कुमारी (मरहूम) फरमाती थीं ...
"आगाज़ तो होता है,अंजाम नहीं होता, जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता॥"
और जावेद अनवर साहब ने उषा खन्ना के संगीत में रफ़ी जी से गवाया
"तुम भी कुछ अच्छा-सा रख लो अपने दीवाने का नाम..."
और नाम के सिलसिले में मुफ़लिस और दानिश दोनों का ये मानना है
"किरदार अहम् है दुनिया में , ये नाम बदलते रहते हैं..."
आज दानिश को आपके रु..रु करते हुए मैं ये कुछ अलफ़ाज़
आप सब के सुपुर्द करता हूँ .......



उम्र के हर मोड़ पर हमने दिए क्या-क्या जवाब
उम्र भर उसके सवालों की शिद्दत कम हुई
आज भी चुकता नहीं हो पाया क़र्ज़ा ज़ीस्त का
घट गया है और इक दिन , और मोहलत कम हुई



"दानिश" भारती
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क़र्ज़ा = क़र्ज़
शिद्दत = तीव्रता
जीस्त = ज़िन्दगी

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Wednesday, November 3, 2010

खूबसूरत रंगों , चमकती रौशनियों , और महकते रिश्तों का त्यौहार
'दीपावली' पहुंचा है,,, हर तरफ ख़ुशियों की फुहार बरस रही है
घर-बाज़ार, गली-कूचे सजे संवरे से नज़र आते हैं,,,
सब मन-भावन है .... लेकिन कुछ मन.... जो उदास हैं,,,
किन्ही
कारणों से मजबूर हैं,,,किसी छोटे या बड़े दुःख में घिरे हैं,,,,
आओ ... इस दीपावली पर उन सब के लिये भी ढेरों ढेरों दुआएं मांगें...
लीजिये, एक नज़्म हाज़िर है .......





चलो , कुछ उनके लिये भी चिराग़ रौशन हों .....



ये रौशनी, ये चमक, ये चहल-पहल हर सू
कि हर तरफ ही गुलो-ख़ुशबुओं के साये हैं
ज़मीं का रंग अलग ही तरह से निखरा है
कि आसमान तलक रंगो-नूर छाये हैं

ख़ुशी से झूम उठेंगे खिले-खिले चेहरे
जलेंगे दीप हर इक सिम्त शादमानी के
करेंगी रक्स ये रंगीनियाँ फ़ज़ाओं में
सितारे गीत सुनाएंगे रात-रानी के

मगर , इक ऐसा भी कोना है, जो अँधेरा है
जहाँ है दीप की आहट, न रौशनी का सुराग़
कुछ-एक ऐसे भी अरमान हैं, जो मुर्दा हैं
जहाँ हमेशा है उम्मीद, इक जलेगा चिराग़

कुछ ऐसे लोग, जो बेबस हैं , कुछ परेशाँ हैं
उदासियों के, या मजबूरियों के मारे हैं
दुखों का बोझ, बुरा वक़्त, खेल क़िस्मत का,
किसी कमी की वजह से जो ख़ुद से हारे हैं

चलो , कि उनके घरों में भी रौशनी झलके
चलो , ये सोचें कि अब प्यार हो, तो सबके लिये
चलो , कुछ उनके लिये भी चराग़ रौशन हों
चलो , दियों का ये त्यौहार हो, तो सबके
लिये

'दानिश' भारती


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हर इक सिम्त = हर तरफ , चहुँ और
शादमानी = खुशियाँ , उल्लास
रक्स (raqs) = नृत्य, नाच

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आप सब को दीपावली की ढेरों शुभकामनाएँ
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