Tuesday, September 8, 2009

नमस्कार ।
ज़िन्दगी और मस्रुफियात का भी अजीब सा लेकिन पक्का रिश्ता है
फुर्सत के लम्हे चुरा पाना भी अपने आप में महारत ही है ।
इंसान , आज , जाने कयूं बस अपने आप के बारे में ही सोचने की फितरत
पाले रहने पर मजबूर सा होता जा रहा है । वजह.... वक्त है , हालात हैं , या
हमारा ये चौतरफा ....भाग-दौड़ वाला.... ख़ुद भागता-दौड़ता चौतरफा ....
खैर ....ये कहानी फिर सही ....
आप सब की खिदमत में एक ग़ज़ल लेकर हाज़िर हूँ ......


ग़ज़ल

किसी के कोई काम आओ , तो मानें
कि ख़ुद को कभी आज़माओ, तो मानें

खुशी के पलों में तो हँसते रहे हो
मुसीबत में भी मुस्कराओ , तो मानें

बनावट- नुमा ज़िन्दगी छोड़ कर तुम
हकीक़त से रिश्ता बनाओ , तो मानें

हमेशा चरागों तले है अँधेरा
भरम ये कभी तोड़ पाओ , तो मानें

रहो सामने भी , छिपे भी रहो तुम
मुहब्बत में इतना सताओ , तो मानें

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें

परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

कई ग़मज़दा लोग, 'दानिश', मिलेंगे
उन्हें भी गले से लगाओ , तो मानें




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40 comments:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

हर शेर लाजवाब...उम्दा ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई....
कृपया समकालीन ग़ज़ल [पत्रिका]देंखे....

डिम्पल मल्होत्रा said...

खुशी के पलों में तो हँसते रहे हो
मुसीबत में भी मुस्कराओ , तो मानें...bahut khoobsurat kavita hai....zinda rahne ka sleeka koee sikhe humse...koee mousam ho sare shaakh chahkate rahna....

दर्पण साह said...

WAH....

YA TO WAHI WAALI HAI NA?

CHAP KE BHI ACCHI LAG RAHI HAI....

"हमेशा चरागों तले है अँधेरा
भरम ये कभी तोड़ पाओ , तो मानें "

AAP CHIRAG BHI HAIN , AUR AAPKE TALE HUM BHI CHIRAAGON SE CHAMAK RAHE HAIN...

Yogesh Verma Swapn said...

wah muflis ji,
नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें

परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें

seedhe saade shabdon men kamaal, har sher behatareen. badhai sweekaren.

"अर्श" said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

अब आपके गज़ल्गोई पे मै कुछ कहूँ ये लाजिम नहीं , बात सही है के वक्त, हालात और वो ... कभी क्या अपने हुए है ? मगर ये बात भी अजीब है कोई एक शे'र नहीं सारे ही मुझे पसंद है. दर्पण ने भी साफ़ और सही बात की है के आप दीप है और हम आपके निचे जल रहे है .. मगर इस ऊपर वाले शेर के बारे में कुछ भी कह पाना मुनासिब नहीं है मेरे लिए खासकर.... आखिर में यही के ...
तेरे शिकवे बहुत नाजुक हैं इन्हें महफूज रखता हूँ ...
मुद्दतों बाद ये मुझको बड़ी मुश्किल से मिलते हैं...

सलाम
अर्श

रश्मि प्रभा... said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें ....
waah

दिगम्बर नासवा said...

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें......

muflis जी ....... namashkaar ........aapse huyee बात cheet आज भी taaja है मेरे jehan में ......... आज आपकी gazal पढ़ कर dubaara याद taaza हो गयी .........
bahoot ही lajawaab gazal है, किसी भी एक sher को chunna सच में मुश्किल है ......... आपका ustaadi आपकी gazal में नज़र आती है ...........

abdul hai said...

परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें


Nice written

Ria Sharma said...

खुशी के पलों में तो हँसते रहे हो
मुसीबत में भी मुस्कराओ , तो मानें

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें

मुफ़लिस जी हर बार एसा लिख देतें हैं की लफ़्जों का अभाव सा हो जाता है ......
ग़ज़ल तो उम्दा होती ही है भाव भी अति उत्तम !!!

कंचन सिंह चौहान said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

bahut khoob.....

डॉ टी एस दराल said...

खुशी के पलों में तो हँसते रहे हो
मुसीबत में भी मुस्कराओ , तो मानें

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

वाह, बहुत खूब. ये तो हमारे दिल की बात कह दी.

Vinay said...

वाह क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें !!

उम्दा गजल्! सब के सब शेर लाजवाब्!!

स्वप्न मञ्जूषा said...

खुशी के पलों में तो हँसते रहे हो
मुसीबत में भी मुस्कराओ , तो मानें

बनावट- नुमा ज़िन्दगी छोड़ कर तुम
हकीक़त से रिश्ता बनाओ , तो मानें

आपकी ग़ज़ल की सबसे अच्छी बात लगी.....'हमने कुछ सीखा'
हर शेर एक सन्देश लिए हुए है....
और शायर का शायद एक काम, यह भी होता है
दिल से ख़ुशी हुई पढ़ कर..
शुक्रिया !!!

manu said...

खूबसूरत शे'र है साहिब...
खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें


और ये एक ख़ास शे'र प्यारा मक्ता .....
जिसे दुनिया एक दम भूलती जा रही है..... गले लगाना तो दूर गमजदा लोगों के नाम पे ही उबकाई आने लगती है लोगों को..

बहुत प्यारा .. समझने लायक मक्ता
कई ग़मज़दा लोग, 'मुफ़लिस', मिलेंगे
उन्हें भी गले से लगाओ , तो मानें

Pritishi said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें
Bahut khoob!
Pichhli Gazal zyada asardaar thi.

God bless
RC

Urmi said...

बहुत बढ़िया लगा! एक से बढ़कर एक है सारे शेर! शानदार और लाजवाब ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ!

गौतम राजऋषि said...

विलंब से आ रहा हूँ गुरूवर। मन की हालत कुछ ठीक नहीं थी।

सोचता हूँ कि ये ग़ज़ल पहले कहाँ पढ़ी थी। शायद अंजुम जी के "प्रयास" में...और पढ़ कर आपको फोन भी किया था जैसा कि मुझे याद आ रहा है।

"परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें " उसी समय से हमारा हो गया था।

सर्वत एम० said...

आपकी गजल पर कुछ कहते हुए शर्म का एहसास हो रहा है. अपने खानदान की तारीफ अपने ही मुंह से अच्छी नहीं लगती. हाँ, आप से सिर्फ इतना ही कहूँगा...सलाम.

ललितमोहन त्रिवेदी said...

हमेशा चरागों तले है अँधेरा
भरम ये कभी तोड़ पाओ , तो माने
किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें
परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें
वाह मुफलिस जी ! बहुत उम्दा कहन और मीठा अंदाजे-बयां निहायत ही खूबसूरत बन पड़ा है ! आपकी ग़ज़ल की कसौटी पर जो कस जाय तो आदमी सही अर्थों में इंसान बन जाय !
......आप मेरे ब्लॉग पर आये बहुत ख़ुशी हुई , आपके इस स्नेह के लिए शुक्रगुजार हूँ ! आदेश शिरोधार्य कर आज एक ग़ज़ल पोस्ट कर दी है ! इसी तरह प्यार का सिलसिला बनाये रखियेगा !

शोभना चौरे said...

नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें

bhut khoob .
ak achhi itja

dheer said...

namaste Muflis saHeb!
is rachnaa ke liye meree hazaar_haa daad qabool keejiye!
mere paas aapkaa email-id naheeN hai. isliye maiN apnaa email, webpage aur mohataram Sarwar Alam Raz saHeb kee site kaa addres post kar rahaa huN. shukriyaa!
my email : ameta.dheeraj@gmail.com
my homepade: www.dheer.webs.com
Sarwar saHeb: www.sarwarraz.com
www.urduanjuman.com

saadar
-dheer

Alpana Verma said...

'परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें
waah!wah!!
bahut umda !
khubsurat gazal.
--------
[aap ka anurodh sar aaankhon par ..achchha track milte hi ve geet zarur sunaaungee.]

संजीव गौतम said...

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें.
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है बडे भाई. पूरी गज़ल एक आइना है.....
आपसे परसों बात कर बहुत अच्छा लगा. अपना स्नेह देने के लिये शुक्रिया.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

muflis ji,
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी "में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...

pratima sinha said...

गज़ल के बारे में कुछ नहीं कहूंगी क्योंकि मुझसे भी बेहतर,सारे लोग कह चुके हैं. मुझे कहना है बस इतना कि ’मुफ़लिसी ’ में दिलोज़ेहन की इतनी अमीरी...... सुभान अल्लाह !गज़ल-ओ-अशआर की इस खूबसूरत दुनिया से जुडना अच्छा लगा.मेरे आकाश में आपकी परवाज़ अच्छी लगी.
शुक्रिया....,नवाज़िश का....!
यूं ही मिलते रहिये !!!!

Dr. Amar Jyoti said...

ये सादा सा लहज़ा,ये गहरी सी बातें
हमें भी हुनर ये सिखाओ तो मानें
:)

sandhyagupta said...

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

Kya khoob likha hai.Har sher arthpurn hai.Dher sari Badhai.

नीरज गोस्वामी said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

भाईजान गुस्ताखी माफ़ जो आपकी बज्म में इतनी देर से पहुंचा...लेकिन पहुँच गया इसकी ख़ुशी है...बेहद खूबसूरत असरदार इस ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद कबूल फरमाएं...कभी इतिफाकन मिलना हुआ तो गले मिलकर दाद दूंगा इस ग़ज़ल के लिए...वाह...
नीरज

Betuke Khyal said...

thanks for ur generous comments on my blog..

masrufiyat ki shikayaten ab bemaani si lagti hain..I am living with multiple deadlines.. aur ab fursat ek saraab sa lagta hai..1 good thing abt this is that u don't get bored..

marqaz-e-khayal umdaa hai aapki ghazal ka... but i feel aap kuchh aur non-obvious se bimb aur geetatamk lafzon ka istemal karte to aur behtar ho sakta tha.. maslan 'puratan ki rasmon' me puratan 1 not-so-commonly used word to hai lekin 'purani rasmon' me 1 tarah ka lyrical flow hai... baqi aap khud bahut achha likhne wale insaan hain..

Sanjeev Mishra said...

मुफलिस साहब, रचना पढने का और उत्साह वर्धन का धन्यवाद.

हरकीरत ' हीर' said...

खफा हो के मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

सीधे साधे शब्दों में गहरी बात कह देना आपकी खूबी है ....हर शे'र लाजवाब है .....!!

हाँ , यहाँ ज़िन्दगी जीने लायक मिलती ही किसे है जो ये नाज़ का प्रपंच ले बैठी ..... !!

लता 'हया' said...

aapne kalaam ke sath sath mere blog ki tasviron ki bhi tareef ki iske liye to dohra shukria. maan gai ;

aur aapki gazal to maanein ka to jawab hi nahin !

vijay kumar sappatti said...

किसी के कोई काम आओ , तो मानें
कि ख़ुद को कभी आज़माओ, तो मानें

waaaaaaaaaaaaah

muflis ji , deri se aane ke liye maafi chaunga .. kuch uljha hua tha haalat me .. well, itni achi gazal ke baare me main kya kah sakta hoon ...itni pyaari si aur zindagi ko jeeti hui gazal hai ... main to bhai nishabd ho gaya hoon ...

aapko salaam karta hoon ..

श्रद्धा जैन said...

किसी और में खोट कयूं ढूँढ़ते हो
कभी ख़ुद को दरपन दिखाओ, तो मानें

waah bahut khoob gazal hui hai

Muflis ji aapse bahut zaruri baat poochni hai

please mujhe email kare

shrddha8@gmail.com

Unknown said...

किसी के कोई काम आओ , तो मानें
कि ख़ुद को कभी आज़माओ, तो मानें
wah
kya baat
gazal wakai bahut vagandarhai...mulyon se ot-prot...vertmaan yug ke liye prasangik.....wah

kshama said...

Waah! Kya awaahan hai!
"simate lahen" pe itna sundar comment padh behad achha laga...zarranawazee aur hausla afzayee ke liye tahe dilse shukriya!

Vipin Behari Goyal said...

नए दौर के साथ चलते हुए तुम
पुरातन की रस्में निभाओ , तो मानें


लाजवाब....बहुत सुंदर

Rajeysha said...

kya baat hai!!

Milind Phanse said...

बहूत खूब.
परों की नही , बात है हौसलों की
इरादे फ़लक तक बनाओ , तो मानें

खफा होके मुझसे , कहा ज़िन्दगी ने
मेरे नाज़ हर पल उठाओ , तो मानें

कई ग़मज़दा लोग, 'मुफ़लिस', मिलेंगे
उन्हें भी गले से लगाओ , तो मानें

यह शेर खास पसंद आए.