पिछले दिनों एक मित्र द्वारा कुछ ऐसा सन्देश प्राप्त हुआ ...
"प्यार और बारिश एक-से होते हैं,,,बारिश पास रह कर
तन भिगोती है और प्यार दूर रह कर आँखें..."
असरदार पैग़ाम अक्सर मन में समा जाया करते हैं ..
ख़ैर .....आप सब की हिफाज़तों और दुआओं के नाम....
एक नज़्म हाज़िर करता हूँ ।
काश...
साँझ के उदास धुंधलकों में
ख़ुद अपने आप से भी दूर
कुछ तन्हा-से लम्हों को ओढ़े
उसने ...
मिट्टी की खुरदरी सतह पर
अपनी उँगलियों से
इक नाम लिखा ...
ज़रा देर
वक़्त के ठहर जाने को महसूस किया
फिर अचानक ठिठक कर
अपनी भरपूर हथेली से
उस लिखे नाम को मिटा दिया...
और
ख़ुद में वापिस लौटते हुए
वो
यकायक कह उठा
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश ......!!
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39 comments:
नमस्कार,ख़ूब से ख़ूबतर
सिर्फ़ मह्सूस की जा सकती है ये नज़्म ,
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश !
वाक़ई जज़्बात को अल्फ़ाज़ के धागों में बहुत खूबसूरती से पिरोया गया है ,
एक ऐसी ख़्वाहिश जो हर इन्सान में होती है बस हर शख़्स के लिए उस के मानी अलग अलग हो सकते हैं
kash..... bharpur hatheli se us likhe naam ko mitaa diyaa... ye hai asal pyaar tak pahunchati baat jo khud ke ehsaasaaton ko nawaaz rahi hai ... is line ke shabdon ne tadapaa ke rakh diyaa... kamaal ki baat hai.... haay re waali....
aaj subah hi aapki gazal gungunaa rahaa tha shauk dil ke puraane huye ... ham bhi guzare jamaane huye... magar aapsi saadagee nahi aayee gayaki me ... kya karun? :)
arsh
सच में, बहुत खूबसूरत नज़्म है. इसे महसूस किया जा सकता है, कुछ कहा नहीं जा सकता इसके लिये. और बारिश तो सच में भिगोती ही है, भीतर भी और बाहर भी.
मुफलिस साहब अमीर कर दिया आपकी इस नज़्म ने हमको...वाह...लफ्ज़ लफ्ज़ दिल में बैठ गयी है कमबख्त...क्या लिखते हैं आप...वाह...माशा अल्लाह...जोरे कलम और जियादा...
नीरज
kaash.........................
ਓ ਜੀ ਤੁਸੀਂ ਮਿੱਟੀ ਤੇ ਬੈਠੇ ਇਹੀ ਸਬ ਕਰਦੇ ਰਹਿਦੇ ਹੋ ......??
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
किसका है... किसका है ....किसका है ......????
ये नक्श ...!!
बल्ले बल्ले ....बधाइयां जी ....बधाइयां .....!!!
मिटाने की क्या जरुरत है जी इस दर्द का भी अपना ही मज़ा है ....!!
bahut khoob .sachmuch dil chhoo lene wali nazm hai .bahut bahut badhai
kaash aese hi dard bhare lamhe mit jaate to safar bojhil nahi hota ,bahut sundar ahsaas ,ati sundar .
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
कितनी मजबूरी है ।
बहुत खूबसूरती से पेश किया है आपने ।
बधाई।
अपनी भरपूर हथेली से
उस लिखे नाम को मिटा दिया...
और
ख़ुद में वापिस लौटते हुए
वो
यकायक कह उठा
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश ......!!
ओह बहुत मार्मिक दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति। अगर उन्हें मिटाया जा सकता तो आप जैसे शायर कैसे पैदा होते? जज़्बातों को गहरे मे डूब कर लिखते हैं आप। शुभकामनायें
bahut sundar nazm hai.....yah bhi kya jaan leva hai .....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश !
bahut umda
लिखे नाम को मिटा दिया...
और....ख़ुद में वापिस लौटते हुए
वो......यकायक कह उठा.............काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...काश ....
ये अंदाज़े-बयां आपके इल्म उरूज की दलील है..
दाद....और मुबारकबाद......
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
किसका है... किसका है ....किसका है ......????
ये नक्श ...!!
.................................................
किसका है.......?????
मिटाने की क्या जरुरत है जी इस दर्द का भी अपना ही मज़ा है ....!!
पंजाबी नहीं जानते..
इसीलिए पहली लाईने कोपी पेस्ट नहीं कि.....
जाने क्या लिखा हो...?????
:)
बाद में एडिट इसलिए किया...
क्यूंकि समझ नहीं सके के क्या सचमुच बल्ले बल्ले और बधाइयों कि बात है...
:)
o ji tusi miti(not sure) te baithe ihi sab karde rhiday ho?
aisa kuch likha hai manu ji...
:)
miti.....??
not sure naaa....???
1 minut..
tippa, adhak aur bindi main confusion hai.... agar ye adhak hai to mitti. warna pata nahi....
ਬੱਲੇ-ਬੱਲੇ....! ਦਰ੍ਪਣ ਜੀ ਤੁਸੀਂ ਤੇ ਕਮਾਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ......!!
ये नक्श मिटाए कहाँ मिटते हैं?
'मिट्टी की खुरदरी सतह पर' यूँ नाम मिटाने की कोशिश में हाथ ज़ख्मी हो जाएँगे ..दे जाएँगे कुछ और जख्म और उसके निशान....
***नज़्म भावपूर्ण है ,बहुत पसंद आई.***
[आप के मित्र के संदेश में कही बात मन को भा गयी.]
[साल होने को आया है मगर आप का बताया वो गीत मुझे याद है..कुछ अनमोल रत्न ऐसे होते हैं जिन्हें हाथ लगाते डर लगता है,पूरी सावधानी के साथ उठाना चाहती हूँ ,बस इसी डर से देरी है.]
आभार
ji bus meharbaani hai Harkirat ji....
Aur please Ji mat lagayein.
:)
abhi padhna hi aaya hai likhna seekh raha hoon.
:)
कविता निशब्द करती है , और मानवीय सीमाओं को बेहतरीन तरीके से उकेरती है, हमेशा की तरह "कमाल."
तुसी कमाल कर दित्ता मुफलिस सर
ਓਏ ਹੋਏ .......!!!
ਦਰ੍ਪਣ ਜੀ ਕੋਉਣ ਹੈ ਵੋ.....????
ਜਿਸਕੇ ਲੀਏ ਸਿਖੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ਜੀ .....????
ਬੱਲੇ.....ਵਧਾਈਆਂ ਜੀ ਤੁਹਾਨੂੰ ਵੀ ......!!
ab ye kyaaa likh daalaa mohtarmaa ne.....??
काश!!
यह काश किसी दिल के पत्थर पर गहरा लिखा महसूस होता है..जो मिटता नही कभी..तो दिल के बाकी नक्श कैसे मिटेंगे..
उम्दा नज़्म..
नहीं 'दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ... ' इतना आसान नहीं होता !
वक्त कुछ साथ ले कर आता है , और कुछ साथ बहा ले जाता है , और ये कलम वाले वक्त के निशान खोजते ...उकेरते रहते हैं ....पसंद आया आपका लेखन !
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश ......!!
kaaaaaaaash!!!!!!!!!!!!!!
behatareen.
@ हरकीरत जी,मधुर के लिए.और उसकी सामने वालियों के लिए इसलिए बधाई का हकदार मधुर है.
:)
दर्पण जी आपके ब्लॉग पे कमेन्ट बॉक्स नहीं मिला .... सो आपका कमेन्ट यहीं चस्पा रही हूँ................
दर्पण जी आई तो थी इस मधुर के बारे पूछने ....पर आपका ये रूप देख विस्मित हूँ .....लाजवाब शब्दावली से अद्भुत शिल्प .....भई ये कमाल कहाँ से सिखा ......!!
मुफलिस जी क्षमा करें ......!!
काश ....
ऐसा ही कहीं आसान हो पाता
दिल पर लिखे कुछ नक्श मिटा पाना ...
... .....
काश ......!!
Aapne vigat me na jane kahan pahuncha diya aur nishabd kar diya!
Muflis,
achcha likhte ho! ek tar se kai jhankar kiye hain.
Jo baat dil se nikalti hai, wohi dil ko chooti (touches) hai.
Tumne kaha "deemak sa..." kyon? pata nahin... khoj rahi hoon main bhi iski wajah.
Noyanika ( My blog nishabd)
बहुत ही खूबसूरती से बयान कर दी ये दास्ताँ पर इसी काश के सहारे ही शायद चल रही है ये दुनिया
"इस दुनिया में सब कुछ आसान है पर नज़्म बेहतरीन है.........."
amitraghat.blogspot.com
dard kee saath jeene ka bhee apna hee anand hai Muflis jii !!
Very well expressed !
आपको भी नव वर्ष कि ढेरो शुभकामनायें!!
बहुत ही खुबसूरत रचना! काश ऐसा करना मुमकिन होता तो कई नाम और यादें मिटा देते जो रह-रह कर दिल को दर्द देती है.
"प्यार और बारिश एक-से होते हैं,,,vaah aur kaash mein yah donon hi hain...
आपकी यह रचना भी मन को छुं गयी ! मुझे लगता है आपके इस ब्लॉग को नियमित रूप से देखते रहना पढ़ेगा ... इस खजाने में से मोतियों को चुनते रहना है ...
मेरे रचना पर आपकी टिपण्णी देने के लिए शुक्रिया ...
इक नाम है कि फूल से सहरा में खिले हैं
क्या ज़ुल्म है - ख़ुद आग लगाई नहीं जाती
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