शब्द को जब आवाज़ न मिल पाए , तो उसे ख़ामोशी से
लगाव होने लगता है... लेकिन, ख़ामोशी, हमेशा मुनासिब
जान ली जाए,, ये बात भी मुनासिब नहीं जान पड़ती ...
स्वामी विवेकानंद जी के किसी क़ौल को कुछ शब्द
देने की कोशिश करते हुए आप सब से एक छोटी-सी
नज़्म सांझा करना चाहता हूँ ........
विश्वास की डगर
माना,
कि बुरा है
जीवन में ....
किसी भूलवश
'कुछ' खो देना
माना,
कि और भी बुरा है
जीवन में....
किसी अज्ञानतावश
'और भी कुछ' खो देना
लेकिन...
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है .........
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आप सब को लोहरी के त्योहार
और मकर संक्राति की शुभकामनाएं
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45 comments:
सब से ज़्यादा ,
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में....
किसी हताशावश
इस 'कुछ' ,
और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
बिल्कुल सही है कहते हैं न कि ’उम्मीद पर दुनिया क़ायम है’
और
अगर यही उम्मीद ख़त्म हो जाए तो दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी
किसी ने कहा है ----
hope is the last thing to lose
बढ़िया है.
कविता पढ़ कर पाश की कुछ पंक्तियाँ याद आयीं
"सब तों खतरनाक हुंदा है साड्डे सुप्नेयाँ दा मर जाना"
अगर उम्मीद टूट जाये तो कुछ भी नहीं रहता.... मेरी कहानी 'बेजुबान आदमी की भी एक पंक्ति है " खासियत इनकार में है.........जो अपने साथ आस का नया सूरज ले के आता है........." कविता बहुत अच्छी बन पायी है... बधाई स्वीकार करें और याद रखें.........
बीती ताहि बिसार दे ..........आगे की सुध ले
और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना
मुझे आपकी इन पंक्तियों से "पाश" की वो कविता याद आ गयी जिसमें उन्होंने सपने के मर जाने पर लिखा था...बेहतरीन रचना है आपकी...इस रचना की तारीफ़ के लिए इस्तेमाल किया हर लफ्ज़ मुझे छोटा लगता है...
नीरज
hmmmmm..........truth.
’उम्मीद’ कायम रखने की उम्मीद जगाती कामयाब नज़्म.
पते की बात कही है मुफलिस जी ।
विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है .........
बहुत सटीक बात कही है..अगर विश्वास खो जाए तो फिर कोई भी डगर बेमानी हो जाती है.बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति.
निराशा में आशा का दिपक जलाती हुई एक सुन्दर रचना।
बहुत ही सही कहा है दानिश भाई - इंसान को उम्मीद का दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए|
शुक्रिया इस पैगाम के लिए ......!!
बहुत ही प्यारी रचना।
आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं।
---------
डा0 अरविंद मिश्र: एक व्यक्ति, एक आंदोलन।
एक फोन और सारी समस्याओं से मुक्ति।
लेकिन...
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
क्या बात है दानिश साहब. सच है, उम्मीद कभी छोड़नी नहीं चाहिये. बहुत सुन्दर.
सराहनीय प्रस्तुति
kuch shabad aapki iss khubsurat rachna ke liye...... from an inexperienced man
शब्द खो गये तो क्या
एहसास जिंदा है,
एहसास जिंदा है तो फिर
विश्वास जिंदा है,
विश्वास जिंदा है तो फिर
मैं भी जिंदा हूँ अभी|
"विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है .........
विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है
कितनी सच्ची बात कही है आपने,
अगर विश्वास खो गया तो फिर बचा ही क्या?
बहुत खूब दानिश जी .... आपकी छंद मुखत रचना तो पहली बार पढ़ रहा हूँ ... आशाओं भरी ये रचना लाजवाब है ... मज़ा आ गया सर ...
nice post dear
Music Bol
Lyrics Mantra
शब्द खो गये तो क्या
एहसास जिंदा है अभी,
एहसास जिंदा है तो फिर
विश्वास जिंदा है अभी,
विश्वास जिंदा है तो फिर
मैं भी जिंदा हूँ अभी|
"विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है .........
January 17, 2011 8:35 PM
दानिशजी ! आप की रचना के लिए धन्यवाद के साथ कुछ पंक्तिया प्रस्तुत हैं
बीज न भ्रम के बो पायेगा,
कैसे कुछ भी खो जायेगा,
है विश्वास अनूठा यदि तो -
जो चाहे सो हो जायेगा ।
बहुत बढ़िया लिखा है आपने. उम्मीद हमेशा कायम रहनी चाहिए
सीधे-साधे और सधे लफ़्ज़ों की बयानी.
वाह वा
" There is always a silver lining between the dark clouds "
vaah....bahut aashaavaadi vichaar...
बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
सही कहा...उम्मीद खो बैठना ही सब कुछ खो बैठना है...
Never lose hope.......a very good message and a beautiful poem.
Surjit.
हताशा के कारण किसी बात को खो देना ठीक नहीं है...कितनी सही बात है...
When hope is lost, everything is lost...
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....विश्वास की डगर ही
बि;लकुल सही कहा। बहुत प्रेरक रचना है बधाई आपको।
आदरणीय दानिश साहब
आदाब अर्ज़ है जनाब !
स्वामी विवेकानंद जी की बात बहुत अच्छे शब्दों और भावों के साथ आगे बढ़ाई है आपने …
सब से ज़्यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
जीवन में हताशा अक्सर घेर लेती है हमें । आपके शब्द भविष्य में संबल बनें सबके लिए , यही कामना है ।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह.. दानिश जी छोटी सी नज़्म से बहुत बड़ी बात कह दी आपने ..
सच है उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है ....
बहुत ही प्यारी रचना।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
लेकिन...
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
bahut sundar pantiyan.
--Mayank
अरे वाह!! यह तो उम्मीद का सुक्तक ही है, एक सद्विचार है।
आशा का दीप!!
मेरे ब्लॉग पर आनेआउर सार्थक टिप्पणी का शुक्रिया।
लेकिन...
सब से ज़यादा बुरा है
जीवन में,
किसी हताशावश
इस 'कुछ' और 'बहुत कुछ' खोये को
वापिस पा सकने की
उम्मीद को ही खो देना ....
बहुत सार्थक सन्देश दिया है ....पहले नहीं आई ...क्षमा चाहती हूँ
तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी के जीत में यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर...(शैलेंद्र)
आशावादी संदेश है आपके नज़्म में, बधाई
bahut khubsurat rachna me badhiya sandesh...pahli baar aai hun apke blog par bahut acha laga....
"सरल और सहज शब्दों में विराट, शाश्वत सन्देश देती इस नज़्म के लिए हार्दिक बधाई...."
इस नाचीज़ के ब्लॉग में आकर हौसला आफजाई के लिए बेहद शुक्रिया... आगे भी अपनी आमद बरक़रार रखने की गुजारिश के साथ...
सादर...
विश्वास की डगर ही
जीवन की डगर है .........
sach bilkul sach ,sundar rachna
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
ek sundar ashavadi rachna !
awesome....!!!
maaf karna...jab kuch bohot accha lagta hai....to comment karne ki tameez gayab ho jaati hai....bas awesome...yahi nikalta hai ;)
swami viveka nand ne bilkul sahi kaha hai....
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