तो घने कोहरे की तरह ज़हनो-दिल को ढके रहती है....
कुछ पल, कुछ लम्हें, कुछ रोज़....
कभी, दिल में उठी ख्वाहिशों को दिमाग, हकीक़त का आइना दिखा कर चुप करवा देता है,
तो कभी दिमाग की ज़िद के आगे दिल की बेबसी साफ़ नज़र आती है.......
ऐसे में खामोश रहना जरुरत भी बन जाता है, और मजबूरी भी.....
ग़ज़ल
हर क़दम पर बिछी है ख़ामोशी
रूह तक जा बसी है ख़ामोशी
ज़िन्दगी की तवील राहों में
फ़र्ज़ की बेबसी है ख़ामोशी
मैं तो लफ्जों की भीड़ में गुम हूँ
औ` मुझे ढूँढती है ख़ामोशी
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
राज़े - दिल अब इसी से कहता हूँ
दोस्त बन कर मिली है ख़ामोशी
आरिफ़ाना कलाम होती है
जब कभी बोलती है ख़ामोशी
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
क्यूं मेरा इम्तेहान लेती है
मुझ में क्या ढूँढती है ख़ामोशी
दिन की उलझन से हार कर 'दानिश'
रात-भर जागती है ख़ामोशी
_____________________________
तवील=लम्बी
औ`= और
आरिफ़ाना कलाम=ब्रहम सन्देश
करीबतर=ज्यादा समीप _____________________________________
39 comments:
दानिश साहब ,
खामोशी टूटी भी तो गज़ल खामोश कर गयी ... बेहतरीन गज़ल ..
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
राज़े - दिल अब इसी से कहता हूँ
दोस्त बन कर मिली है ख़ामोशी
Bahut hee sundar!
दानिश जी,
ख़ामोशी पे टिप्पणी ... ख़मोश कर दिया आपने
राज़े - दिल अब इसी से कहता हूँ
दोस्त बन कर मिली है ख़ामोशी|
खुश और स्वस्थ रहें !
आख़िर ख़ामोशी ने कहा और कहलवा दिया. ख़ूबसूरत ग़ज़ल.
मैं तो लफ्जों की भीड़ में गुम हूँ
औ` मुझे ढूँढती है ख़ामोशी
bahut sunder khamoshi ki zuban....
badhai..
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
क्या बात है !बहुत ख़ूब !
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
बेहतरीन क़ासिद ओ पयाम्बर है ख़ामोशी
राज़े - दिल अब इसी से कहता हूँ
दोस्त बन कर मिली है ख़ामोशी
ख़ामोशी से बढ़कर कोई राज़दार नहीं होता शायद
ख़ूबसूरत,, मुकम्मल और मुरस्सा ग़ज़ल के लिये मुबारकबाद क़ुबूल कीजिये
गुरुजनों को सादर प्रणाम ||
सुन्दर प्रस्तुति पर
हार्दिक बधाई ||
वाह आपने तो खामोशी को भी शब्द दे दिये बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ख़ामोशी का असर तो हुआ यहाँ भी है देखिये
कहना चाहती बहुत हूँ पर रोक लेती है ख़ामोशी
ख़ूबसूरत ग़ज़ल
ख़ामोशी जैसे रदीफ़ पर इतनी खूबसूरत ग़ज़ल कह कर खामोश कर दिया आपने हमें...बाउजी आपका जवाब नहीं...बेहतरीन शेर कहें हैं...किसको छोड़ें और किसकी बात करें...सुभान अल्लाह...
नीरज
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
बहुत खूब ।
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
बेहतरीन ।
ख़ामोशी मन की शांति की भी प्रतीक है ।
अच्छी ग़ज़ल...
मुस्कुराया है दर्द सीने में
आज इतना हंसी है खामोशी.
मेरे होठों में दबे लफ़्ज़ों में
बेतरह पिस चुकी है खामोशी.
"रूप"
17 मात्रा वाली बहर और उस में भी सानी के लिए सिर्फ 8 मात्राएं, [वर्ण गिनें तो भी 10-5] कमाल है सर जी| खामोशी पर एक खूबसूरत मुसलसल ग़ज़ल के लिए दिल से बधाइयाँ|
क्यूं मेरा इम्तेहान लेती है
मुझ में क्या ढूँढती है ख़ामोशी ...
अब इसके आगे क्या कहा जाए गुरुवर !!!
बधाई !!
आभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
बहुत खूब दानिश जी ... खामोशी को जुबान आप जैसा गज़लकार ही दे सकता है ... बहुत कमाल के शेर हैं सब ...
क्या खूब शेर कहा हुज़ूर......
ज़िन्दगी की तवील राहों में
फ़र्ज़ की बेबसी है ख़ामोशी
दिन की उलझन से हार कर 'दानिश'
रात-भर जागती है ख़ामोशी
मतला ता मक्ता हर शेर लाजवाब.....!! पुरकशिश ग़ज़ल ....!!!!
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी ...
हर शेर लाज़वाब कर देता है...
बेहतरीन ग़ज़ल...
सादर बधाई....
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
वाह हुज़ूर..
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
दोनों शे'र परेशान करने वाले हैं...
आरिफाना कलाम होता है..
जब कभी बोलती है ख़ामोशी ...
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
अपना क्या...लगता है सबका ही शे'र है ...
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी.
बहुत बारीकी से कही बहुत बारीक बात...
khamosh hi rahun to achch varna sab kahenge ki bolti hai love does not get love sometime pain only.
khamosh hi rahun to achch varna sab kahenge ki bolti hai love does not get love sometime pain only.
वाह. इतनी सुंदर रदीफ ली है और एक से बढ़ एक शेर कहे हैं.. दिल खुश हो गया . बहुत बहुत बधाई दानिश जी.
सभी शेर प्यारे हैं,
किस किस की तारीफ करे.
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
उम्दा कलाम, ख़ामोशी से दिल में समा गए सब अशआर
ख़ामोशी को मिली जुबां!
दानिश साहेब का तर्ज़-ए-बयां!
आशीष
--
मैंगो शेक!!!
हो गया हूँ क़रीबतर ख़ुद से
जब से मुझको मिली है ख़ामोशी
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
bahut khoob. ghazal to kabiletareef hai hee uski bhoomika bhi dil ko chooti si lagi.
नमस्कार दानिश जी,
बहुत खूब मतला कहा है....सानी के तो क्या कहने............रूह तक जा बसी है ख़ामोशी
"ज़िन्दगी की तवील राहों में ......", वाह वा
"मैं तो लफ्जों की भीड़ में गुम हूँ ................." जिंदाबाद
"बात दिल की पहुँच गई दिल................." लाजवाब कहन, एकदम जुदा अंदाज़ के साथ ये शेर है
शेर दर शेर, जब गुजरों तो एक अलग ही आनंद मिल रहा है. बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है. मुबारकबाद कुबुलें.
बात दिल की पहुँच गई दिल तक
काम कुछ कर गई है ख़ामोशी
कम्बखत ये ख़ामोशी भी जीने नहीं देती अब......
यूँ तो सादगी में कहा हर शेर उम्दा है .....
किसे कम आँकू और किसे ज्यादा .....
दिन की उलझन से हार कर 'दानिश'
रात-भर जागती है ख़ामोशी
रात को फोन कर देखूंगी जागती है या नहीं ......:))
अरे हाँ ...
उदयपुर में मिले सम्मान की ढेरों बधाइयाँ ....
रब्ब आपको और कामयाबी दे ...हुनर बख्शे ....
कार्यक्रम की तस्वीरों का इन्तजार है ...
अब ना नुकर मत कीजिएगा ....
यूँ भी दानिश साहब की तस्वीर बहुत कम लोगों ने देखी है ....
हम भी देखें कुछ पीते हैं या नहीं ....:)))
बहुत सुन्दर!
आरिफ़ाना कलाम होती है
जब कभी बोलती है ख़ामोशी
दानिश साहब!क्या खूब लिखतें हैं ,आप .हर अश -आर काबिले दाद ,नोट करने लायक .सुभान अल्लाह ! और हाँ भाई साहब ,मुश्किल अल्फाजों के मानी देतें हैं ,ग़ज़ल को और भी स्वीकार्य ,संग्रह लायक बनाते हैं .शुक्रिया !
मैं तो लफ्जों की भीड़ में गुम हूँ
औ` मुझे ढूँढती है ख़ामोशी
बेहतरीन सर । आपकी तो खामोशी भी बोलती है ।
♥
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
शुब्हान अल्लाह
ख़ूबसूरत ग़ज़ल!
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
----------------------------
कल 16/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह!!!!!!!
बेहद खूबसूरत..
वक़्त पर काम आ गई आख़िर
देख , कितनी भली है ख़ामोशी
लाजवाब...
बेहतरीन ग़ज़ल....बहुत खूब.....
Post a Comment