परिस्थितियों की रुकावटें मन की ख्वाहिशों पर
हमेशा भारी रहती हैं . कुछ ऐसी मजबूरियाँ/मुश्किलें रहीं
कि पिछले दो-तीन माह से मैं आप सब साहित्यकार मित्रों के
ब्लॉग पर उपस्थित न हो पाया . इस बात के लिए मैं आप सबसे
क्षमा चाहता हूँ ... आप सबकी आमद मेरे लिए हमेशा ही
प्रेरणा और उत्साहवर्द्धन का स्रोत रही है , जिसके लिए
धन्यवाद कहना मात्र एक औपचारिकता पूरी करने जैसा ही होगा .
लीजिये एक ग़ज़ल लेकर हाज़िर-ए-ख़िदमत हूँ ........
ग़ज़ल
बात रखिए , तो ख़ूबतर रखिए
लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ कुछ हुनर रखिए
आसमानों तलक नज़र रखिए
और ख़्वाबों को हमसफ़र रखिए
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक़ पर रखिए
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ज़माने की भी ख़बर रखिए
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39 comments:
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
...लाज़वाब! बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ज़माने की भी ख़बर रखिए
दानिश जी, मज़ा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर...
हमें तो लगा कि ग़ज़ल की तरह यह भी एक हुनर है आपका ।
एक एक शे'र काबिले तारीफ़ है ।
आखिरी शे'र में लगता है जैसे खुद से बात कर रहे हों । :)
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
laajabaab...umda har ek sher par daad deti hoon.
स्वागत है आपका ...
देर से सही ,आप आये तो सही ....
बिल्कुल सही कहा आप ने हमेशा की तरह ...
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए|
खुश रहें!
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
Samajh me nahee aata,kin,kin panktiyon ko behtareen kahun!
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
वाह क्या बात है. शानदार.
भाई जान मुश्किलों का दूसरा नाम ही जीवन है...ख़ुशी है के आप भरपूर जीवन जी रहे हैं...एक शेर आपकी मुश्किलों तकलीफों दुश्वारियों के लिए:-"कहीं दुनिया में नहीं इनका ठिकाना ऐ दाग, छोड़ कर मुझ को कहाँ जाय मुसीबत मेरी"
आप को फिर से उसी रंग में रंग देख बहुत ख़ुशी हुई. क्या शेर निकाले हैं आपने...अँधेरे में रखे दीपक से शेर जो अंधियारों से लड़ने झूझने की प्रेरणा देते हैं. वाह...सुभान अल्लाह भाई जियो. किस शेर को कोट करूँ...सभी तो खूबसूरत हैं...डालियों पे लगे गुलाब की मानिंद...हमारी दुआ है आप यूँ ही लिखते रहें बस....
नीरज
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
आस ही तो ज़िंदगी को रवां दवां रखने का एक ज़रिया है ,लिहाज़ा यक़ीनन ये दिये रौशन रहने चाहिये
बहुत ख़ूब !!
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
क्या ये मुम्किन है ?शायद हाँ ,शायद नहीं अपने अपने मेज़ाज पर मुन्हसिर है
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए
"मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती "
इन्हीं जज़्बों को नए अंदाज़ में पेश करता हुआ शेर
बहुत ख़ूब !!
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
सभी अशार बड़े खुबसूरत हैं सर...
उम्दा ग़ज़ल...
सादर बधाई...
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
अच्छी भावपूर्ण ग़ज़ल....
वाह क्या विम्ब रचा है..... पूरी ग़ज़ल अच्छी है.
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
bas sir , aap se hi jeene kee aarju paayi hai .. khuda aapko saari khairyat de...
aur aap yun hi likhte rahe .
ameen
aapka
vijay
आसमानों तलक नज़र रखिए
और ख़्वाबों को हमसफ़र रखिए
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
वाह! ग़ज़ल ज़िंदगी का हुनर सिखाती चलती है. बहुत ही खूबसूरत.
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
बहुत खूब!
जिंदगी से रची-बसी बेहद खूबसूरत ग़ज़ल!
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
bahut achha khayal, umda ghazal!
बढ़िया शेर कहे हैं दानिश जी आपने.
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
सही मायनों में ज़िन्दगी जीने के लिए यह सलाह नेक है।
कमाल की ग़ज़ल लिखी है दानिश ! मन प्रसन्न हो गया। हर शेर पर वाह वाह करने को दिल चाहता है। मैंने तो फेसबुक पर इस ग़ज़ल के कुछ मिसरे स्टेटस पर भी लगा दिए हैं।
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
बहुत खूबसूरत गज़ल ..हर शेर ज़िंदगी को जीने के लिए प्रेरित करता हुआ ..
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
ऊपर नीचे के क्रम में कहे ये दो शे'र नीचे ऊपर के क्रम में रख कर देख रहा हूँ...
मैं नहीं..
शायद मेरी उदासी, मुस्कराहट, कर गुजरने की हसरत ..
और उस पे अगर मगर..ऐसा करा रहे हैं...
@दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
वाह दानिश जी, वाह!
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं...
दानिश जी, बहुत उम्दा ग़ज़ल...
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
वाह...वाह
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
क्या बात है...बहुत खूब
हर शेर ज़िन्दादिली का पैग़ाम देता हुआ...
ज़िन्दगी तो खुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
सार्थक संदेश देती हुई यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी।
ज़िन्दगी तो खुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए.
बेहद संजीदा गज़ल दानिश जी.
टेक्स्ट एडिटर में इस बार कुछ गडबडी आ गयी है लगता, कुछ और तकलीफें भी आ रही है पोस्ट तैयार करने में.
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ज़माने की भी ख़बर रखिए
bahut achchi lagi.......
हरेक शेर बेहद उम्दा है ........खूबसूरत ग़जल !
daanish ji ! kyaa khoob ghazal baandhi hai aapnain .... majaa aa gaya ..... aur is behar ke to kyaa kahnain .....
बात रखिए , तो ख़ूबतर रखिए
लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ कुछ हुनर रखिए
matla lajabaab hai .... daad kubool karain
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
behtareen .... bahut khoob
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
kya khoob
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
kya rabeetaa banndhaa hai janaab aapnain yahan .... waah waah
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
waah ....... haasil - e ghazal sher huaa hai yeh
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ज़माने की भी ख़बर रखिए
aur makte nain to bas kamaal hi kar diyaa
aapko padhnaa accha lagaa ..... daad kubool karain
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए ...
आपका हर शेर जीवा के अनुभव से तप के निकला हुवा है ... बहुत ही लाजवाब गज़ल है ... सुभान अल्ला ...
बेहद खुशनुमा गज़ल है. सभी शेर शानदार.
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
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जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
*************************
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
बेहतरीन ग़ज़ल....!
उम्दा और लाजवाब शेर....!!
इरशाद.....!!!
जो भी करना है, कर गुज़रना है
यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए
अब आप एक ग़ज़ल संग्रह निकाल ही लीजिये यूँ न दिल में अगर-मगर रखिए...:))
कीजिये आस के दिये रौशन
आँधियों पर भी कुछ नज़र रखिए
हूँ....रखे हुए हैं .....
जो फ़ना कर दे मुस्कराहट को
उस उदासी को ताक पर रखिए
आप रखते हैं ....:))
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए
नहीं रखते ....
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
ये नहीं कर सकते ....:))
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
ऊन्हुंक ....मुश्किल है ....
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ज़माने की भी ख़बर रखिए
ये तो आपके लिए है ....
खोए रहिये न ख़ुद-तलक "दानिश"
कुछ ब्लॉग की भी खबर रखिये .....
हर शेर के दोनों मिसरों के फोंट्स (fonts) में
एक अलग तरह का (छोटे-बड़े होने का ) फ़र्क़
हो उभरा है.... ठीक नहीं कर पा रहा हूँ ...
लीजिये हमने तो समझा ये भी आपकी कला है ....:))
ज़िन्दगी तो ख़ुदा की नेमत है
चाह जीने की उम्र-भर रखिए
लाज़वाब गज़ल..
मौत ही ज़िन्दगी का आख़िर है
क्यूँ भला दिल में कोई डर रखिए
दिल में भी ताज़गी हो फूलों की
ज़हन भी खुशबुओं से तर रखिए
दिल में उतर जाने वाले शेर. अच्छी और कामयाब ग़ज़ल. मुबारक हो.
दिनेश जी,
बहुत सुंदर गजल...बधाई
मरे पोस्ट में स्वागत है,....
बड़ियाँ फोटोवां सोटोवां छप रही हैं आज कल दानिश जी .....
बधाइयां ....
एक और पुरस्कार की .....
लो जी जन्मदिन भी सूना-सूना .......?
न कोई केक ...न मिठाई ....न कोई नयी पोस्ट ....????
चलो जी बहुत बहुत वधाइयां तुहानू ...
रब्ब चड़दी कला विच रखे .....
aaj pahli baar aap ke blog me aaya...aap ki ghazlein padh ke jitni khushi hui utna hi afsos bhi...afsos is baat ka k ab tak main kahan tha , aap ka ek ek sher lajawab hai.
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