ग़ज़ल
दिल की दुनिया में अगर तेरा गुज़र हो जाए
रास्ते साथ दें , आसान सफर हो जाए
जो शनासा - ऐ - रहे - ऐबो - हुनर हो जाए
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल वो बशर हो जाए
इस तरह नक़्श-ए- क़दम छोड़ कि देखे दुनिया
पाँव रख दे तू जहाँ , राह - गुज़र हो जाए
खौफ़ मरने का, न जीने से शिकायत उसको
जिस पे रहमत से भरी एक नज़र हो जाए
खिल उठी फूल-सी हर शाखे तमन्ना दिल की
अब तो उनसे भी मुलाक़ात अगर हो जाए
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'दानिश'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।
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शनासा ए रहे ऐबो हुनर= अच्छे बुरे की राह को पहचानने वाला
नक्शे क़दम=पैरों के निशाँ
जब्र=अत्याचार
44 comments:
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
......
badhiyaa gazal
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
bahut sundar gazal...specially ye wali line behad umda
badhai ..
vijay
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ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'मुफलिस'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।
ज़नाब ,ज्यादा कुछ नहीं बस इतना ही कहूँगा कि आपकी लिखी ये ग़ज़ल पढ़ कर अपने लिखे पर शर्म आ रही है.
अगर ग़ज़ल लिखना सीखा जा सकता तो आपकी ही शागिर्दी में आने की तमन्ना रखता .
ग़ज़ल लिख पाऊँ कभी 'मुफलिस' सी,नहीं मुमकिन ये ,
बच्चों जैसी ही सही कोशिश तो मगर हो जाए .
क्या बात है सर..."इस तरह नक़्श-ए- क़दम छोड़ कि देखे दुनिया / पाँव रख दे तू जहाँ , राह - गुज़र हो जाए" और फिर "अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें / ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए"...बिछ गये हम तो सरकार इन अशआरों पर...
"सरस्वती सुमन" की जानकारी के लिये शुक्रिया...कल तक मेरे पास पहुँच जायेगी,फिर बात करता हूँ.कोई और पत्रिका के बारे में जानते हों तो अवश्य बतावें....
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
Bahut acchi lagin ye panktiyan au Gajal aapki. Shubhkaamnayein.
jindgi jabr sahi----- bahut hi badiaa aur sunder bhaav hain badhaai
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'मुफलिस'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।
ye she'r bhot hi acche lage Muflish ji pr aapne wo khjana abhi bhi chupa rakha hai...chliye hum aur intjar kr lete hain.....
|| फ़िर ना देरी की ना दूरी की शिकायत हो अगर,
"बे-तखल्लुस " का तेरी राह में घर हो जाए ||
दिलबर को सलाम...
मेरे साथ दिकात ये है के आपके ब्लॉग तक आने का रास्ता मेरे ब्लॉग से होकर जाता है और मुझे अपने ब्लॉग में ही झाँकने की फुर्सत नहीं मिल पा रही.
शायद ये शानदार ग़ज़ल मेरे नसीब में आज के ही दिन पढ़नी लिखी हो और वैसे भी जल्दबाजी में आकर चले जाना मुझे अछा भी नहीं लगता...हकीर जी ने और मेज़र साहेब ने जो तारीफ़ की है ....वो शेर तो वाकई नायाब हैं...बाकी अब मुहल्ले में जाकर सरस्वती सुमन ढूंढता हूँ.....काफ़ी लेट हो गयी...
दिल की दुनिया में अगर तेरा गुज़र हो जाए
रास्ते साथ दें , आसान सफर हो जाए
खौफ़ मरने का, न जीने से शिकायत उसको
जिस पे रहमत से भरी एक नज़र हो जाए
- पूरी गजल का सार.
wah!bahut badhai aisi badhiya soch ke liye,har ek lafz prerit karta hai.
बहुत अच्छा लिखते हें आप...बहुत बहुत बधाई।
गज़ब की ग़ज़ल है मुफलिस भाई. यह पंक्तियाँ तो अपने दिल की बात सी ही लगीं:
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
bahut sundar gazal....dil ko chhoo gahyi.....really touchable lines...
regards..
जो शनासा - ऐ - रहे - ऐबो - हुनर हो जाए
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल वो बशर हो जाए
ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'मुफलिस'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।
Beaaautiful Ghazal! Too good!
Duaaein
RC
बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है, वाह
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
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'ज़िन्दगी जब्र सही…'
बहुत ख़ूब!
दिल में कशिश थी जिन्दा एक आग सी थी
उसकी तपिश में तप के खालिस बन गया
दैरो हरम में जाके बहुतों को सुकूं मिला
सब कुछ लुटा के अपना मैं मुफलिस बन गया...
आपके प्यार का ढेर सारा शुक्रिया..
आपको व सभी साथियों को लोह्ड़ी की शु कामनायें
आदर सहित्
दिल की दुनिया में अगर तेरा गुज़र हो जाए
रास्ते साथ दें , आसान सफर हो जाए
बहुत ही सुंदर लाईनें हैं कसम से दिल खुश हो गया.
बहुत ही सुंदर और खुबसूरत रचना है
आपकी. नव वर्ष की शुभकामनायें.
नया साल आपको शुभ हो, मंगलमय हो.
तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किसका था,
ना था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था।
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था
खौफ़ मरने का, न जीने से शिकायत उसको
जिस पे रहमत से भरी एक नज़र हो जाए
... प्रसंशनीय है।
बहुत प्यारी कविता.....
दिल को छु गई
gam mere pas rahe,
Kya khoob kaha apne
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
अच्छी ग़ज़ल है. बधाई.
बहुत ख़ूब
---
आप भारत का गौरव तिरंगा गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने ब्लॉग पर लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
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मुफ़लिस जी को आदाब....सरस्वती-सुमन का ये गज़ल रूपी खज़ाना आ गया है हाथों में.आपका शुक्रगुजार हूं इस खजाने से मेरी ताल्लुकात कराने के लिये...
मैं तो यहीं हूं देहरादून में और आनंद सुमन जी ने तो निःशुल्क ही दो प्रति उपहार में दे दी.
और आज इस पत्रिइका के जरिये आप से भी विस्तृत मुलाकात हो गयी.मैं श्रद्ध से नत-मस्तक हूं..."ये न आंख से बहेगा, न जबां ही कह सकेगी / जो समझ सको फ़साना,तो समझ लो शाइरी में"-सुभानल्लाह मुफ़लिस साब
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
सुंदर सकारात्मक सोच
अद्भुत पंक्तियाँ !!
सादर
उर्दु के शब्दों का गज़ब तालमेल और तुकबंदी भी बेहतरीन है..। उर्दु के शब्दों का अर्थ देना निश्चित तारीफ-ए-काबिल है..।
शुभकामनाएं
खिल उठी फूल-सी हर शाखे तमन्ना दिल की
अब तो उनसे भी मुलाक़ात अगर हो जाए
good post and good going
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अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
ये वो पंक्तियाँ हैं जिन्हें बार-२ पढ़ने का मन हो रहा है ...बहुत-२ बधाई...
kabhi kabhi kuchh anjana sa ho jata hai
pahle lagata hai ajnabee phir apna sa ho jata hai.
aisa hee laga apki gjalon aur kvitaon ko padha kar. yehi karan hai ki maine apke purane poston ko bhee palat dala. achha laga-
tumhare aane se mere jivan men bhor ho gai
jiyo khud aur jine do abhee ka
yahee ho jindigee ka sar pyare.
chalo baant len aapas men bitee yaden
gam mere pas rahen, chai udhar jaye.
dil ko choo gai.
अब चलो बाँट लें आपस में वो बीती यादें
ग़म मेरे पास रहें, चैन उधर हो जाए
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'मुफलिस'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।
khubsurat andaaz-e-banya...
सलाम करता हूं सर.तमाम आलेख पढ़ गया.मैं गज़ल हूं-अभी भी खुला हुआ सामने रखा है.
नमन है।
अपना दूरभाष नंबर दें और जब-तब बात करने की इजाजत तो मेहरबानी होगी
A deep observer, and eventually, a great reader you are!
God bless
RC
ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
bahut khoob
adbhoot gazal.....
har sher mein wah, wah nikalti hai....
i like following 2 lines espically:
"ख़ुद-ब- ख़ुद शख्स वो मंजिल से भटक जाता है
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
ज़िन्दगी जब्र सही , फिर भी जिए जा 'मुफलिस'
है नही काम ये आसान , मगर, हो जाए।"
one of the best ghazals i have ever read in blogs .
However, there is one thing i want to mention tough:
दिल की दुनिया में अगर तेरा गुज़र हो जाए
///
पाँव रख दे तू जहाँ , राह - गुज़र हो जाए
and
अब तो उनसे भी मुलाक़ात अगर हो जाए
///
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
are wrong according to ghazal rules coz both have same endings.But anyways, it was fantabolous.Even I Don't like the rules even i give preferences to "Bhav Pax" than that of "kala Pax"
Congrats for such a lovely thought process...
muflis ji aap sahi hein,
main aapki baat se itfaq rakhta hoon....
infact maine galat shabd ka pryog kiya tha.....
....main kehna chahta that ki 2 kafayie ek se acche nahi lagte....
दिल की दुनिया में अगर तेरा गुज़र हो जाए
///
पाँव रख दे तू जहाँ , राह - गुज़र हो जाए
phir bhi theek hai....
par
अब तो उनसे भी मुलाक़ात अगर हो जाए
///
कामयाबी का नशा उसको अगर हो जाए
thodi ajeeb lagi (mujhe....)
aur 'mujhe' se mera matlab 'mujhe' se hi hei.....
specifically.
p.s.:
blog use karna abhi hi shuru kiya hai.
dekha yahan pe alochana kam hi hoti hain....
...jaane kyun?
...par yakeen maniye,acha laga, apne mere galat baaton ko (jabki aap inse itfuq nahi rakhte ).
aur apki knowledge se lagta hei ki mein shayad chota muh badi baat kar gaya tha...
asha hain aap kshama karange....
...aur yadi kar diya to mere blog mein "sandook" namak muktak avashya padehin.
jaane kya baat hai ki log purane acche lekh nahi padhte.
jo naya hai wohi padhenge.
गज़ल अच्छी है। रुक़्न और वज़न का भी खुलासा कर दें तो मेरे लिये आसान हो जाये समझना। दर्पण शाह जी की बात से सहमत नहीं हूँ क़ाफ़िये के मामले में।
manoshi ji bataya nahi kis baat se sehmat nahi hain?
kyunki apni pehli baat ka to mein pehle hi sudhaar kar chuka tha....
@ मुफलिस जी. CHAPTER CLOSED.....
धन्यवाद आपके सभी INPUTS का. और धन्यवाद कि आपके 'Blog I Follow' List में कुर्मांचल का ब्लॉग शकुनआखर मिल पाया......
वाह वाह क्या बात है! बहुत ही उन्दा लिखा है आपने !
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