Sunday, February 22, 2009

नमस्कार !
एक बार फिर आपसे मुखातिब हूँ ....शुक्रिया के साथ किआप मेरी रचनाएं
पढ़ते हैं , पसंद करते हैं , अपनी टिप्पणियों से मेरी हौसला-अफजाई
करते हैं ...एहसान-मंद हूँ आप सब का । अदब कि दुनिया में आज जाने
कितनी कितनी गजलें कही जा रही हैं । इस में कोई शक नही कि ग़ज़ल
आज कीहर दिल अज़ीज़ विधा बन चुकी है । पुरानी रवायतों को निभाते
हुए ग़ज़ल आज के तल्ख़ माहौल की बातें भी करने लगी है । हुस्नो-इश्क़
विसालो-फिराक़ के इलावा आज के सामाजिक हालात , किसी मज़दूर
की थकन , प्रेरणा , नईरौशनी वगैरा सब तरह की बातें ग़ज़ल में कही जा
रही हैं । इसी के साथ-साथ कुछ लोग ग़ज़ल को हिन्दी-ग़ज़ल और
उर्दू-ग़ज़ल में बांटने की ताक में भी लगे हुए हैं जो अच्छी बात नही है ।
ग़ज़ल तो बस ग़ज़ल है ....इस को किसी ज़बान से बांधना अच्छी बात नही ।
हिन्दी में लिखो तो उर्दू वाले पढ़ते हैं, उर्दू में कहो तो हिन्दी वाले आनंद उठाते हैं
बस देखा तो यही जाता है कि ख्याल क्या है, विषय किस तरह के चुने गये हैं ।
और मेरा तो ये मानना है कि लिपि बदलने से कोई विधा तो नही बदल जाती ...
खैर ! पेशे-खिदमत है एक ग़ज़ल जिसे आज गीतिका, मुक्तिका, तेवरी, इत्यादि
भी कहा जाने लगा है .............


ग़ज़ल

मन में संकल्प लिए पाँव बढ़ाओ तो सही
फल भी मिल जाएगा तुम फ़र्ज़ निभाओ तो सही

सत्य की खोज है तो साथ चलेंगी राहें
दिल की दुनिया में कोई दीप जलाओ तो सही

चाँद पर पाके विजय, माना , सजा ली दुनिया
ज़िन्दगी तुम किसी इन्सां की सजाओ तो सही

दुश्मनी करना तो आसान है दुनिया वालो
बात तब है कि कोई दोस्त बनाओ तो सही

ये जो जीवन है, बहुमूल्य खज़ाना है , सुनो
खर्च भी लेना इसे, पहले कमाओ तो सही

क्यूं इधर और उधर खोज रहे हो उसको
मन के भीतर है वो, तुम सर को झुकाओ तो सही

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सही

अब कभी दूर न जायेगा किसी भी दिल से
कोशिशें कर भी लो, 'दानिश' को भुलाओ तो सही




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50 comments:

रश्मि प्रभा... said...

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही ..............bahut hi jabardast

विधुल्लता said...

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

hme to bas ye panktiyaan bhaa gai...badhai

manu said...

साहब जी,
ग़ज़ल पर दोबारा आऊंगा.....पहले आपकी भूमिका की सराहना करून...........

ग़ज़ल हर हाल में ग़ज़ल ही रहेगी.....न ये हिन्दी वालों की जागीर बनेग्गी ...न उर्दू वालों की.....
ये आदमी की चीज है जनाब.......सियासत की नहीं है..एक दम नहीं...

Dr. Amar Jyoti said...

'दिल की दुनिया में …।'
'चांद पर पाके विजय…।'
'देर तक आज ग़ज़ल…।'
बहुत ख़ूब! एक से बढ़ कर एक।

Dr.Bhawna Kunwar said...

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सही

sabhi eak se badhkar eak bahut khub..bahut2 badhai...

दर्पण साह said...

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

................
................

Muflis ji hum to maun ho gaye....
......adbhoot (sada ki tarah)

दिगम्बर नासवा said...

जिंदगी से भरपूर ग़ज़ल है.........
जिसे पढ़ कर दोहराने का मन करेर, मुझे लगता है वो सच्छी रचना है

बहुत खूब

hem pandey said...

'दुश्मनी करना तो आसान है दुनिया वालो
बात तब है कि कोई दोस्त बनाओ तो सही'
- बहुत खूब.

सीमा रानी said...

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सही
बहुत बढिया ,मुफलिस जी आपने सही कहा है कला की कोई भाषa नही होती और कलाकार की कोई जाती नही होती

गौतम राजऋषि said...

सच कहा गुरूवर गज़ल को इन भाषाओं की बाँट से परे रखना ही श्रेयष्कर है....."मैं गज़ल हूँ" के बाद ये शब्द सारे आपके---बस नमन करता हूँ।

और गज़ल ये गज़ल ये आज की..."चाँद पर पाके विजय, माना , सजा ली दुनिया/ज़िन्दगी तुम किसी इन्सां की सजाओ तो सही" इस शेर ने लाजवाब कर दिया। मक्‍ता भी बहुत भाया है सर।
जैसा कि कल आपसे कह रहा था कि तस्वीर,चेहरा,आवाज और ये ख्यालात सब-के-सब मिल के एक नौजवान शायर की रपट दे रहे हैं।

फिर सोचा कि इस जमीन पर आपके लिये अपनी तरफ से एक शेर जोड़ूँ...इतनी मुश्किल बहर है कि पसीने आ गये। एक कोशिश फिर भी आप को नज्र:-
दाद दिल खोल के मिलते ही रहेंगे तुम को
तुम यहाँ एक ग़ज़ल रोज़ सुनाओ तो सही

चरण-स्पर्श !

महावीर said...

ख़ूबसूरत ग़ज़ल है। वैसे तो सारी ग़ज़ल क़ाबिले तरीफ़ है। ये अशा'र बहुत पसंद आये:
देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सही

sandhyagupta said...

Har pankti asar chodti hai. Badhai.

योगेन्द्र मौदगिल said...

बेहतरीन ग़ज़ल बेहतरीन अंदाज़ के साथ प्रस्तुत की आपने.... वाह.. वाहवा..

abdul hai said...

मन में संकल्प लिए पाँव बढ़ाओ तो सही
फल भी मिल जाएगा तुम फ़र्ज़ निभाओ तो सही

Nice panktiyaan

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको मुबारकबाद सब शेर बेहद उम्दा हैं

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही

अब कभी दूर न जायेगा किसी भी दिल से
कोशिशें कर भी लो, 'मुफलिस' को भुलाओ तो सही

आपकी इस बज़्म में आना बहुत ही ख़ुशगवार लगता है.

Vinay said...

यह भूल जाने वाली बात कुछ जमी नहीं, आप याद रखने वाली शख़्सियत हैं जनाब!

---
चाँद, बादल और शाम

BrijmohanShrivastava said...

बेशक अब तो कहना ही पड़ेगा " वैसे तो है शायर बहुत अच्छे ,मुफलिस का कहने का है तर्ज ए बयां और

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

दुश्मनी करना तो आसान है दुनिया वालो
बात तब है कि कोई दोस्त बनाओ तो सही
बहुत उम्दा !!!

kumar Dheeraj said...

दुश्मनी करना तो आसान है दुनिया वालो
बात तब है कि कोई दोस्त बनाओ तो सही

बढ़िया रचना है । पर क्यो करोगे लोगो की नियति ही ऐसी हो चली है कि क्या किया जाए । एक से बढ़कर एक सुन्दर शेर आपने लिखा है । शुक्रिया

अमिताभ श्रीवास्तव said...

हिंदी उर्दू मै क्या समझू, समझू बस प्रेम की बात
हो ग़ज़ल आपकी तो पढता रहू मै दिन रात ....
वाह ...
टिपण्णी बाद में, फिलहाल मज़ा लू ग़ज़ल का.

नीरज गोस्वामी said...

चाँद पर पाके विजय, माना , सजा ली दुनिया
ज़िन्दगी तुम किसी इन्सां की सजाओ तो सही

सुभान अल्लाह मुफलिस साहेब...जिंदाबाद...जिंदाबाद...क्या ग़ज़ल कही है...हर एक शेर दिल को करीब से छूटा हुआ सा है...इतनी सरल ज़बान में शेर कहना जैसे बहुत मुश्किल काम को आपने क्या खूब अंजाम दिया है... वाह...वा...बार बार पढ़ कर भी दिल नहीं भरता...

आप के ऊपर वाले शेर को पढ़ कर जनाब आलोक श्रीवास्तव जी का एक शेर याद आ गया...पेश करता हूँ

चाँद से नजदीकियां बढ़ने लगी हैं
आदमी में फासला था, फासला है

लिखते रहें...

नीरज

राजीव करूणानिधि said...

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल. वाह वाह करने की जी किया. आभार.

pritigupta said...

kabhi is kone kabhi us kone,
zidigi ka matlab samjhaa rahe ho
ek baar ji kar dikhaao to sahi

Ahmad Ali Barqi Azmi said...

है बहुत ख़ूब मुफलिस का तर्ज़े बयाँ
उनकी ग़ज़लोँ से ज़ाहिर है हुस्ने बयाँ

उनके अशआर मेँ है बहुत दिलकशी
उनकी मरहूने मिन्नत है उर्दू ज़बाँ

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

Yogesh Verma Swapn said...

sabse pahle to aapka shukriya , mere blog par padharne aur comment karne ke liye. maine aapki gazal padh koi ek sher chhantne laga jo behtar ho, meri mushkil sabhi sher ek se badh kae ek, poori gazal hi behtareen , anupam rachna. shubhkaamnayen. punah aaiyega.

Straight Bend said...

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

Beautiful!

Kharch lena, ki jagah, kharch dena kaisa rahega? Hum paise kharch dete hain, kharch-lete nahin.

RC

Prakash Badal said...

भाई श्री मुफ़लिस जी,

इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल को आपने भाषण के नीचे दबा कर अन्याय कर दिया, लेकिन आपकी ग़ज़ल की क्या कहूँ बहुत ही शानदार मज़ा आ गया। वाह वाह!

shama said...

Muflis ji, subah honepe hai...5 baj chuke hain...raatbhar kisee kamme ulajhi rahee, lekhanke alawaa mehmaanonkaa agman,apnee silayee jo tabiyatke kaaran adhoori reh gayi thee..aur any rozmarrake kaam jo mera intezaar kar rahe the, chunki 2 hafte mumbaime rehnaa pad gaya..
Pehlee baar ayyi hun aapke blogpe...der kar dee...ab fursatse kaafee kuchh padhna chahungee..
Jin sabne tippaniyan dee hain, uske alawa kuchh kehneke liye mere paas shabd nahee hain...vinamrtaase qubool karti hun ki naa to lekhikaa hun,naa kavi...zindagee shayd likhwatee gayee aur mai abhiwyakt karti gayee,,,bas itnaahee...aapki rachnaape mai kuchh likhun ye meree qabilyathee nahee...!
Ek sawal poochna tha...."man anubhuti, jeewan pe " aayi tippaniyonki mujhe lyon ittela dee jaa rahee hai? kayi blogersne ne ye ittela dee aur dete rehte hain...mai kuchh iskakaran samajh nahee payi..gar bata den to shukrguzaar rahungee....!
aadarsahit Shama

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सह
वाह्! क्या खूब लिखा है.......जितने सुन्दर भाव उतना ही बेहतरीन अंदाज़

बधाई और शुभकामनाएं दोनो कबूल करें........

रज़िया "राज़" said...

ये जो जीवन है, बहुमूल्य खज़ाना है , सुनो
खर्च भी लेना इसे, पहले कमाओ तो सही ।
बहुत ख़ुब॥

और एक गज़ल के इंतेज़ार में...

manu said...

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही

शानदार ग़ज़ल,,,मुफलिस जी,,,,
कामयाब शेर नसीहत देने वालों के लिए,,,,
मज़ा आ गया,,,,,
दोबारा आने में देर हुई,,,पर कोई गम नहीं,,,,,आपके पास आना अब क्या जल्दी और क्या देर से,,
अगली ग़ज़ल वो ही छापेंगे ना,,,???? कल की अन्ताक्षरी वाली,,,,

RAJ SINH said...

MAN ME SANKALP LIYE ............
..........FARZ NIBHAO TO SAHEE .

JAB MUFLISEE KA YE AALAM HAI TO DHANWAN KYA HOTE HONGE ?

KYA BAAT HAI !

AUR SABSE BADH KAR JO HINDEE URDU PE BAAT KEE , BADE JOR SE KAHEE JAYE . UMDA CHEEJ PE BHASHA JUBAN KEE LAGAM KYON ? YA PAHCHAN KA LABLE KYOON ? JHANJHAT KYOON .

AAP NE ITNA MAAN DIYA MUJHE . KAUN KAHTA HAI, AAP 'MUSLIS' HO ?

kumar Dheeraj said...

दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही
गजल का ये मतला मुझे बेहद शानदार लगा । लोग अक्सर इस तरह की बात करते है दूसरे को नसीहत तो दे डालते है लेकिन खुद उस पर अमल नही कर पाते है शुक्रिया

अभिन्न said...

भूमिका पढ़ कर बहुत अच्छा लगा सच ही कहा है की ग़ज़ल (या कोई भी साहित्यिक विधा) किसी भी लिपि किसी भी भाषा में लिखी जाये उसके सौंदर्य में कोई फर्क नहीं पड़ता आम आदमी से जुडी होती है कला ,
आपकी रचना में तो जिंदगी की कई सच्चाइयों को उभर कर रख दिया गया है
दूसरों को ही नसीहत जो सदा करते हो
चाहते हो जो, वो ख़ुद कर के दिखाओ तो सही
उम्दा ओर जमीनी हकीकतों पर लेखन के लिए मुबारकबाद
नमन स्वीकार करें

Saaz Jabalpuri said...

दौड़ की होड़ में इंसान भटक बैठा है
आज तहज़ीब कहीं गुम है, बचाओ तो सही
bahut khoob

कंचन सिंह चौहान said...

ये जो जीवन है, बहुमूल्य खज़ाना है , सुनो
खर्च भी लेना इसे, पहले कमाओ तो सही

देर तक आज ग़ज़ल बात करेगी तुमसे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ ज़रा पढ़ के सुनाओ तो सही

बहुत खूब...!
अब कभी दूर न जायेगा किसी भी दिल से
कोशिशें कर भी लो, 'मुफलिस' को भुलाओ तो सही

सही कह रहे हैं आप..! मेल का जवाब जल्द ही दूँगी...! थोड़ा फुरसत से..!

हरकीरत ' हीर' said...

Muflish ji ab jab gazal k jankaron ne itani badi badi tippaniyan kr di hain to hmari tippani kya mayne rakhti hai bhla.... der se aane ki chma prarthi hun....ye sher accha lga ....दुश्मनी करना तो आसान है दुनिया वालो
बात तब है कि कोई दोस्त बनाओ तो सही ...

aur ye...

अब कभी दूर न जायेगा किसी भी दिल से
कोशिशें कर भी लो, 'मुफलिस' को भुलाओ तो सही...waah waah...!! chliye dekhte hain...??

vijay kumar sappatti said...

Muflis saheb,

sorry for late arrival , i was on tour.

gazal ,hamesha ki tarah bahut hi acchi ban padhi hai ..
ज़िन्दगी तुम किसी इन्सां की सजाओ तो सही ,

ye lines bahut acchi hai

itni acchi gazal ke liye badhai
aaj kal aap mere dware aate nahi ho , koi narazgi hai kya bhai..

main bhi kuch likha hai , jarur padhiyenga pls : www.poemsofvijay.blogspot.com

Sumit Pratap Singh said...

सादर ब्लॉगस्ते,
कृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।

आपकी प्रतीक्षा में...

Asha Joglekar said...

अब कभी दूर न जायेगा किसी भी दिल से
कोशिशें कर भी लो, 'मुफलिस' को भुलाओ तो सही ।

सही कहा बंधू, इतनी खूबसूरत गजल पढने के बाद मुफलिस को भुलाना मुश्किल है ।

गर्दूं-गाफिल said...

बेहतरीन ग़ज़ल
चाँद पर पाके विजय, माना , सजा ली दुनिया
ज़िन्दगी तुम किसी इन्सां की सजाओ तो सही

गर्दूं-गाफिल said...

बैठा रहा मैं देर तक इस गजल के साथ
बज्म मै शब भर रहा भवंरा कवँल के साथ

shama said...

Aapki sabhi rachnayen ekse badhke ek hain...mere paas alfaaz nahee, ye sach hai...maafee chahtee hun...
Ek aur sawal, aapne meree post," aajtak yahan takparse"(kahan aa gayee mai)apnee tippaniyan kyon nikaal deen ? Kisee khaas karanwash ?
Maine to ek alaghi blogke baareme likha tha, jo mera nahee tha.....un rachnaon ko leke mujhe ittela aatee thee...is baatka maine spashtikaran kiya tha...mujhe nahee maloom ki aapki koyi galatfehmi ho gayi hai yaa koyi aur wajah hai...
Aapke moolyawaan comments kaa hamesha swagat hai...

Sanjeev Mishra said...

muflis sahab, apki gazal or usmen abhivyakt apka darshan donon hi bahut prashansniya hain.
dhanywad seekar karen.

नीरज गोस्वामी said...

होली की शुभ कामनाएं.

नीरज

Prakash Badal said...

मुफलिस जी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Prakash Badal said...

मुफलिस जी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

daanish said...
This comment has been removed by the author.
sandhyagupta said...

होली की ढेरो शुभकामनाएं।

योगेन्द्र मौदगिल said...

होली की अनंत असीम व रंगीन शुभकामनाएं