Thursday, December 24, 2009

पिछले कुछ दिनों से शहर में हर तरफ क्रिसमस की
धूम नज़र आ रही है ...जगह जगह बड़े बड़े स्टार सजे
हुए हैं ...बड़े-बड़े सांता कलाउज़ बने इठला रहे हैं ...
गिरजा घरों की रौनक़देखने लायक़ है ... मानो एक
बहुत बड़ा उत्सव सभी के मन में समाए जा रहा है ....
carols और chimes की गूँज के स्वर तरंगित करते हैं
प्रभु यीशु की महिमा का गुणगान भी हो रहा है ..........
चलिए , एक नगमा हम सब मिल कर गुनगुनाएं .................
(हाजत-रवा अर्थात ज़रूरतें पूरी करने वाला,, बाक़ी कुछ
शब्दार्थ नीचे दिए हैं)
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यीशु सब का हाजत-रवा बन के आया



किसी के दुखों की दवा बन के आया
किसी की ख़ुशी का पता बन के आया
हमेशा नया रास्ता बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा बन के आया ....


मिले इब्ने-मरियम की शफ़क़त मुझे भी
अता हो ख़ुदा तेरी रहमत मुझे भी
जियारत करूँ है ये चाहत मुझे भी
मेरी ख्वाहिशों की सदा बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा ...........


तेरा फैज़ है तो , हर इक दिलकशी है
सुकूँ है दिलों को , मुसलसल खुशी है
धड़कती हुई हर तरफ ज़िन्दगी है
फ़िज़ाओं में हर सू ज़िया बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा ..............


ज़मीं से फ़लक तक , तेरा नाम दाता
मुबारक , मुक़द्दस ये इल्हाम दाता
हर इक सम्त पहुंचे ये पैग़ाम दाता
मेरे क़ौल का आसरा बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा ..............


हमेशा ही इंसानियत, मुद्दआ हो
सभी में हो बरक़त , सभी का भला हो
ख़ुदा की इबादत हो , हम्दो-सना हो
वो 'दानिश' के लब पे दुआ बन के आया
यीशु, सब का हाजत-रवा बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा बन के आया

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हाजत-रवा= ज़रूरतें पूरी करने वाला
इब्ने-मरियम= मरियम का बेटा
शफ़क़त=कृपा
अता=दान, मिले
रहमत=दया
ज़ियारत=तीरथ
सदा=आवाज़
फैज़=उपकार/कृपा
मुसलसल=लगातार
हर सू=हर तरफ
ज़िया=प्रकाश
मुक़द्दस=पवित्तर
इल्हाम=ईश्वरीय सन्देश
सम्त=दिशा
क़ौल=वचन
हमद-ओ-सना=इश्वर स्तुति/गान

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24 comments:

के सी said...

आपके अशआर में मुग्धता है, लगता है जैसे क्रिसमस मेरे ही शहर में आया हो.
अभी मदहोशी में हूँ इसलिए एक ही लाइन पकड़ में आई है "सब का हाजत-रवा बन के आया ...." जाने आपके कारण है या बीते दिनों की दस्तक जिसका सबब आप हैं. सुंदर मुफलिस साहब बहुत सुंदर.

डॉ टी एस दराल said...

वाह मुफलिस जी, आज तो एक खजाना पेश कर दिया आपने।
सच मैं आज धनवान महसूस कर रहा हूँ।
अगर आप जल्दी जल्दी लिखते रहें तो हम भी उर्दू के मास्टर बन जायेंगे।
मैं तो इसे संभाल कर रख रहा हूँ।
आभार और क्रिसमस की शुभकामनाएं।

Anonymous said...

आभार और क्रिसमस की शुभकामनाएं!

mukti said...

बहुत ही अच्छी कविता! एक तो कोमल भाव, उस पर उर्दू के मक्खन से मुलायम शब्द...संस्कृत काव्यशास्त्र के अनुसार आपकी कविता प्रसाद गुण से ओत-प्रोत है. यह गुण उस रचना में होता है, जिसे समझने के लिये दिल और दिमाग़ को बिल्कुल भी मेहनत नहीं करनी पड़ती. वह सहज और बोधगम्य होते हुये भी अर्थवान होती है.

स्वप्न मञ्जूषा said...

मुफलिस जी,
आपकी कलम के तो हम हमेशा ही कायल रहे हैं...
आज भी नतमस्तक हैं....

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

वाह, बहुत खूब मुफलिस जी,
आपको इस अंदाज में भी महारत हासिल है,
देखकर खुशी हुई..मुबारकबाद
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Yogesh Verma Swapn said...

muflis ji , wakai bahut madhur aur umda likha hai. har stanza apne aap men poorn aur anupam.

मुकेश कुमार तिवारी said...

मुफ़्लिस जी,

बड़े दिनों के बाद इस बड़े दिन पर आपसे मुखातिब हो पाया, ब्लॉग के माध्यम से। इस बीच जिन्दगी की आपा-धापी में आपसे कोई बात नही हो पाई, खेद है।

बहुत सुन्दर नग्मा है प्रभु यीशु का सन्देश और सीख सभी तक पहुँचे और अमल में आये इसी कामना के साथ।

आमीन!!


मुकेश कुमार तिवारी

अमिताभ श्रीवास्तव said...

Jnaab,
bahut dino baad aayaa hu..muaafi chahunga..
हमेशा ही इंसानियत, मुद्दआ हो
सभी में हो बरक़त , सभी का भला हो ..

aapka lekhan..waah.
abhi jitanaa chhoota he sab padhhungaa...

manu said...

1 din late hi sahi muflis ji...
par happy X mas..
:)

कविता रावत said...

क्रिसमस की शुभकामनाएं! aur saath mein happy new Year....

अपूर्व said...

आये-हाये..बस एक दिल लेट हो गया आने मे..वर्ना तो सबके साथ गुनगुनाता..खैर कोई नही..
आपकी इन पंक्तियों मी हमारा भी कोरस मिला लीजिये..

सभी में हो बरक़त , सभी का भला हो
ख़ुदा की इबादत हो , हम्दो-सना हो
वो 'मुफ़लिस' के लब पे दुआ बन के आया


आपके रचनाकर्म की एक जो खासियत मुझे लगती है..वोह यह कि यह एक दरबार-ए-आम है..सब के लिये..बच्चों से बूढों तक..गरीब, रक़ीब, हबीब सभी के लिये..अनावश्यक दुरुहता या असहज सरलता का कोई प्रयास नही मिलता..और यह दुर्लभ स्वाभाविकता ही इन रचनाओं को समय से परे ले कर जाती है..
आभार

दिगम्बर नासवा said...

ज़मीं से फ़लक तक , तेरा नाम दाता
मुबारक , मुक़द्दस ये इल्हाम दाता
हर इक सम्त पहुंचे ये पैग़ाम दाता
मेरे क़ौल का आसरा बन के आया ..

आपके शब्दों में जादू है सर ...... प्रभु की महिमा को इतने सुंदर शब्दों में बाँधा है ........ क्रिसमर की और नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ..........

हरकीरत ' हीर' said...

तेरा फैज़ है तो , हर इक दिलकशी है
सुकूँ है दिलों को , मुसलसल खुशी है
धड़कती हुई हर तरफ ज़िन्दगी है
फ़िज़ाओं में हर सू ज़िया बन के आया
यीशु , सब का हाजत-रवा ..............



कमाल है मुफलिस जी २४ की डाली और हमें पता तक न चला ......??
अब दरल जी और मुक्ति ने सभ कुछ कह दिया तो मैं क्या कहूँ .....सच में सहेज कर रखने लायक गीत ....!!

और ये अपूर्व जी ने मेरा ' ओये होए ' चोरी कर लिया .....!!

रविकांत पाण्डेय said...

मुफ़लिस जी, आने में थोड़ा विलंब हुआ पर आना सार्थक रहा। शब्दों और भावों की जादूगरी ने मोह लिया। बधाई।

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत -२ बधाई

Randhir Singh Suman said...

nice

दर्पण साह said...

बचपन में चित्रहार का बड़ा महत्त्व होता था, क्यूंकि उसके इतर कोई नए गानों का प्रोग्राम नहीं होता था, आज इतने नए गाने आते हैं, इतने ढेर सारे आते हैं की उन चैनल को हटा के discovery लगा देता हूँ. वही हाल मेरे कमेन्ट का न हो इसलिए ये भूमिका बांधी है, क्यूंकि ये 'स्तुति' बहुत ही पसंद आई . कई जगह समझ में दिक्कत हुई (उर्दू का ज्ञान) पर शब्दार्थ ने सब कुछ क्लेअर कर दिया. (जब में कहता हूँ समझने में दिक्कत हुई तो इस पोएम कि तुलना गुलज़ार के 'छैयाँ-छैयाँ' से करता हूँ) सबसे बड़ी बात इसकी गेयता . Awesome !!! ऐसा लगता है की न जाने कितनी मेहनत की गयी होगी इस को लिखने में?
पूरा ब्लॉग अच्छा है आपका पर ये मेरी अब तक की fav. पोस्ट. सच में...
गुनगुनाते हुए जा रहा हूँ.
मेरे अब तक नहीं समझ आ रहा है की उर्दू के इतने अल्प ज्ञान के बावजूद ये इतनी अच्छी क्यूँ लगी मुझे.
Hat's ऑफ.


मिले इब्ने-मरियम की शफ़क़त मुझे भी अता हो ख़ुदा तेरी रहमत मुझे भी
मन करता है बार बार गाऊं.
क़ाश कि ऑडियो कमेन्ट का भी आप्शन होता....
--
Best Regards.
Darpan Sah 'Darshan'

सर्वत एम० said...

"पाते हैं कुछ गुलाब पहाड़ों में परवरिश - आती है पत्थरों से भी खुशबू कभी कभी", कुछ ऐसा ही हाल है उस शख्स का जो है तो 'मुफलिस' लेकिन इल्म, हुनर, ज्ञान, शायरी की दौलत से इतना मालामाल है कि दूसरों को हसद पैदा हो जाए. यीशु पर इतनी उम्दा नज्म, मैं तो स्तब्ध रह गया. उर्दू के अल्फाज़ का इतनी खूबी के साथ इस्तेमाल, सच कहूं, मेरी तो हैसियत नहीं कि उन्हें छू भी सकूं. मेरा ख्याल है, शायद यीशु के पैरोकारों ने भी इतने आला नजरिये से कभी खिराजे-अकीदत पेश नहीं किया होगा. सिर्फ एक लफ्ज़ कहूँगा--- मु... बा... र... कां.

sandhyagupta said...

Nav varsh ki dher sari shubkamnayen.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

नववर्ष मंगलमय हो।

अंजना said...

बहुत ही उम्दा,बधाई। सुख,शान्ति ओर समृ्द्धि की मंगलकामनाओं के साथ नववर्ष की शुभकामनाएं

Anonymous said...

सुख,शान्ति ओर समृ्द्धि की मंगलकामनाओं के साथ नववर्ष की शुभकामनाएं

gs panesar said...

Kya kahoon... sarri kavita mein aise lag raha hai ke yishu hoob hu saamne hai...darshan ho gaye
Bahut hi dil ko chhoo lene wale ashaar hai.. aapka khazaana hai kahaan! Mubarak ho naya saal