अक्सर "आज की ग़ज़ल" ब्लॉग पर तर`ही मुशायरे / ग़ज़लों का
इंतज़ाम किया जाता है ... वहाँ एक बार ये मिसरा दिया गया ...
"कभी इनकार चुटकी में, कभी इकरार चुटकी में......"
इस बार, , वहाँ छप चुकी अपनी ग़ज़ल के कुछ शेर
आपकी खिदमत में हाज़िर कर रहा हूँ
ग़ज़ल
उठो , आगे बढ़ो , कर लो समंदर पार, चुटकी में
वगरना ग़र्क़ कर देगा तुम्हें मँझदार चुटकी में
किया , जब भी किया उसने , किया इज़हार चुटकी में
'कभी इनकार चुटकी में , कभी इकरार चुटकी में'
बहुत मग़रूर कर देता है दौलत का नशा अक्सर
फिसलते देखे हैं हमने कई किरदार चुटकी में
ख़ुदा की ज़ात पर जिसको हमेशा ही भरोसा है
उसी का हो गया बेड़ा भँवर से पार चुटकी में
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
विदेशों की कमाई से मकाँ अपने सजाने को
कई लोगों ने गिरवी रख दिए घर-बार चुटकी में
किया वो मोजिज़ा नादिर, नफस दमसाज़ ईसा ने
मुबारिक हो गये थे अनगिनत बीमार चुटकी में
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मल हो गये मेरे कई अश`आर, चुटकी में
सफलता के लिए 'दानिश' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
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वगरना = अन्यथा , नहीं तो
मोजिज़ा = चमत्कार ,,,,, नादिर = अमूल्य, श्रेष्ठ
नफ़सदम साज़ ईसा = प्रभु यीशु (न्यू टेसतामेंट में दर्ज घटना का विवरण )
मुबारिक = भले-चंगे ,,,,,,, ख़याल-ओ-सोच = मन की कल्पना
ज़द = लक्ष्य , निशाना
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33 comments:
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
बहुत बढ़िया ।
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
निखालस सच्चाई।
बहुत शानदार ग़ज़ल लिख डाली मुफलिस जी , चुटकी में ।
विदेशों की कमाई से मकाँ अपने सजाने को
कई लोगों ने गिरवी रख दिए घर-बार चुटकी में
क्या बात है आपने तो बड़ी शानदार ग़ज़ल लिख डाली चुटकी बजाके
उठो , आगे बढ़ो , कर लो समंदर पार चुटकी में
वगरना ग़र्क़ कर देगा तुम्हें मँझदार चुटकी में
जोश ओ हिम्मत और प्रोत्साहन से भरपूर शेर,वाह!
विदेशों की कमाई से मकाँ अपने सजाने को
कई लोगों ने गिरवी रख दिए घर-बार चुटकी में
इस ज़हनियत का क्या किया जाए ?
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी में
ग़ज़ल की परम्परा को निभाता हुआ शेर ,बहुत ख़ूब!
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
ज़िंदगी की तल्ख़ हक़ीक़त को शेर में ढाल कर शायर तल्ख़ी कम करने में कामयाब है
हमेशा की तरह सरल शब्द, गहरे अर्थ लिए हुए...सारे ही शेर बहुत अच्छे लगे. कुछ प्रेरणादायक तो कुछ प्यारे से ...
"उसी का हो गया बड़ा भँवर से पार चुटकी में "...यहाँ शायद बेड़ा होना चाहिए या शायद मुझे समझ में न आ रहा हो.
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
Nahi hota,bilkul nahi hota...behad khoobsoorat gazal hai!
टिप्पडी बक्सा खोल कर बैठे बैठे सोचता रहा क्या कहूँ
पहले सोचा फोन कर लूँ फिर ध्यान आया कि रात के १२ बज रहे हैं आप सो चुके होगे
और अब जब लिखना भी शुरू किया तो ये क्या लिख रहा हूँ..... बस
गजल पहले भी पढ़ी है और आप फिर पढ़ी और आज भी उस शिद्दत से कहन को दिल मे उतरते महसूस कर रहा हूँ जिस शिद्दत से पहली बार महसूस किया था
मैं अक्सर गजल के शेर टिप्पडी मे कोट करता हूँ
बहुत मग़रूर कर देता है दौलत का नशा अक्सर
फिसलते देखे हैं हमने कई किरदार चुटकी में
खूबसूरत, हक़ीक़त .....
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
और फिर हक़ीक़त ........
बहुत ही संजीदगी से लिखते हैं .
आप की गज़ल पसंद आई.
कई उस्ताद लोगों के पसीना छूटते देखा ;
ग़ज़ल कह जाते हैं मुफ़्लिस बहुत दमदार चुटकी में
बहुत अच्छी , रवां-दवां ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़बूल फ़रमाएं जनाब-ए-मोहतरम !
तमाम अश्आर ख़ूबसूरती और फ़नकारी से लबरेज़ हैं ।
बड़ी आसानी से जीवन-दर्शन सामने रख दिया है…
"ख़ुदा की ज़ात पर जिसको हमेशा ही भरोसा है
उसी का हो गया बेड़ा भँवर से पार चुटकी में"
"सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में"
वाह जी वाह !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी में
बाउजी कमाल कर दित्ता तुसी...अपनी खडावां पेज दयो...बंद ओना नूँ रोज़ मथ्था टेक्या करेगा...
नीरज
उठो , आगे बढ़ो , कर लो समंदर पार चुटकी में
वगरना ग़र्क़ कर देगा तुम्हें मँझदार चुटकी में ...
आपकी ग़ज़लें और रचनाएँ हमेशा ही आकर्षित करती हैं ... जमीन से जुड़ी बातों की भरमार होती है आपकी रचनाओं में .. ये ग़ज़ल भी आपकी कमाल है ... हर शेर दिल में उतार जाता
टिप्पणी तो बाद में कभी देता रहूँगा, अभी तो आप्को बधाई दे रहा हूँ, कि चुटकी में और बनावटीपन को हावी न होने देने का ये तज्रुबा बार-बार करें।
मैं तो अभी ख़यालो-सोच में हूँ - देखिए कितने अश'आर मुकम्मिल हो जाएँ।
वाह मुफ़्लिस! जियो मुफ़्लिस!!
बहुत खूब.....मुफलिस साब
"कभी इनकार चुटकी में, कभी इकरार चुटकी में......" के ये शेर
बहुत जोरदार हैं.....
उठो , आगे बढ़ो , कर लो समंदर पार चुटकी में
वगरना ग़र्क़ कर देगा तुम्हें मँझदार चुटकी में
क्या कहने .....साहब ये हुआ मतला, पुर कशिश !
बहुत मग़रूर कर देता है दौलत का नशा अक्सर
फिसलते देखे हैं हमने कई किरदार चुटकी में
अब इस शेर का क्या करें हम .....कहाँ छुपा लें इसे ....!
विदेशों की कमाई से मकाँ अपने सजाने को
कई लोगों ने गिरवी रख दिए घर-बार चुटकी में
बहुत सही......कुछ अमीरों को देखकर कितने गरीबों ने हसरत पाली और ख़त्म हो गए !
किया वो मोजिज़ा नादिर, नफस दमसाज़ ईसा ने
मुबारिक हो गये थे अनगिनत बीमार चुटकी में
जान लेवा ........शेर !
Dr Daraal ji, Rachnaa ji , Ismat ji , Mukti ji , Kshma ji , Venus ji , Dr Ajmal ji , Rajenderji , Neeraj ji , Digambarji, Himaanshu ji , Singhsdmji...
ho saktaa hai..filhaal aapke yahaaN naa aa paaooN....
so... yaheeN se hi...
aapki aamad ka..
aur hauslaa-afzaaee ka
bahut-bahut
shukriyaa adaa kartaa hooN .
नमस्कार मुफलिस जी,
एक और उम्दा ग़ज़ल है ये आपकी कलम से, हर शेर पे वाह निकल रहा है, मुझे विश्वास है आपने चुटकी बजा के ये ग़ज़ल लिख दी होगी, हर शेर काबिले तारीफ है, एक खुमार सा हो रहा है, जब ये शेर पढ़ रहा हूँ,
बहुत मग़रूर कर देता है दौलत का नशा अक्सर
फिसलते देखे हैं हमने कई किरदार चुटकी में
और
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी में
Zindgi ka gehan falsfa aur aisi soch, Kaash humein bhi haasil hon unki yeh chutkiyaan
It is so nice to read everytime i read
Kissi ki nazar mein bhi bazurag ki dua hoti hai
Saamne raha kare hai jo, umaar daraaz hoti hai
आदाब हुज़ूर,
कैसे हैं ? चुटकी वाली ग़ज़ल का नशा अभी तक नहीं उतरा ! हर शे'र दाद के क़ाबिल ! करोडो दाद कुबूल करें !
आपका
अर्श
मतले से मक़ते तक....
हुआ है ज़ेहन-ओ-दिल पर शायरी का वो नशा मुफ़लिस
बना हर शेर पढ़कर दाद का हक़दार चुटकी में.
चुटकी में हुई थी ये ग़ज़ल....
उन दिनों कि बात ही और हुआ करती थी....
वक़्त अब कितना बदल गया है.......ईसा वाला शे'र शायद बाद में हुआ है..
बाकी हर शे'र अब भी वैसा ही ताज़ा है...
कुछ आपकी आवाज़ में गूजते हुए...कुछ मोबाइल के sms बोक्स में सहेजे हुए...
वापस हमें ग़ज़ल के दिनों कि ओर ले जाते हुए शे'र...
MUFLIS BAU JEE, NAMASTE!
MAIKYA KAMAAL KAR DITTA....
TUHADE KOLLO MAINE KAFI KUCHH SEEKHNA HAIN, BANK DE VAARE VEE TE LEKHAN DE VAARE VEE....
TUSSI MAINU APNA EMAIL DE SAKDE HAN?
ASHISH,
PHILLAUR :)
Ankitji, Arunji, Arshji, Shaahidji, Manuji, Aashishji...
aap sb ne protsaahit kiyaa,,
bahut bahut dhanyaavaad .
प्रभावशाली गजल।
(आईये एक आध्यात्मिक लेख पढें .... मैं कौन हूं।)
किया , जब भी किया उसने , किया इज़हार चुटकी में
'कभी इनकार चुटकी में , कभी इकरार चुटकी में'
वाहा वाह
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
क्या बात है कितनी सही बात कही
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
लाजवाब आपकी गज़ल क्या कहूँ --- शब्द नही हैं बधाई
किया , जब भी किया उसने , किया इज़हार चुटकी में
'कभी इनकार चुटकी में , कभी इकरार चुटकी में'
वाहा वाह
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
क्या बात है कितनी सही बात कही
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में
लाजवाब आपकी गज़ल क्या कहूँ --- शब्द नही हैं बधाई
ग़ज़ल के सभी शेर अलग अलग मिजाज़ लिए हुए हैं.
कुछ प्रेरक हैं तो कुछ में तीखापन /व्यंग्य है.
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल !
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी में
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उठो , आगे बढ़ो , कर लो समंदर पार चुटकी में
वगरना ग़र्क़ कर देगा तुम्हें मँझदार चुटकी में
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ए दो शेर खास लगे.
सफलता के लिए 'मुफ़्लिस' कड़ी मेहनत ज़रूरी है
नहीं होता यूँ ही सपना कोई साकार चुटकी में !!
चुटकियों में जीवन के अनमोल सूत्र देने के लिए शुक्रिया !
bahut kuch kah diya aapne chutki me.
अरे वाह इस बेहतरीन ग़ज़ल पर तो निगाह कैसे नहीं पहुंची.
क्या फरमाया है आपने मुफलिस साहब!
....मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी मे. बहुत खूब!!
Aachaaray ji , Nirmala ji ,
Alpanaa ji , Usha ji ,
Sandhyaa ji , Sulabh ji ...
aap sb ke padhaarne ka bahut bahut dhanyaavaad .
कई दिन बाद आने के लिये क्षमा असल मे मेरी एक ब्लागलिस्ट मुझ से डिलीट हो गयी थी।उसमे आपके ब्लाग का लिन्क था । आजापका लिन्क कहीं देखा तो लगाया। आपकी गज़ल तो हमेशा ही लाजवाब होती है।
परखते ही वसीयत गौर से, बीमार बूढ़े की
टपक कर आ गए जाने कई हक़दार चुटकी में
ख़याल-ओ-सोच की ज़द में इक उसका नाम क्या आया
मुकम्मिल हो गये मेरे कई अश`आर चुटकी में
बहुत मग़रूर कर देता है दौलत का नशा अक्सर
फिसलते देखे हैं हमने कई किरदार चुटकी में
किस किस शेर की तारीफ करूँ? बहुत ूअच्छी लगी गज़ल बधाई
kamal ki gajal hai..
वाह. मज़ा आ गया. सभी अशआर बेहद उम्दा.
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