रंगों और उमंगों के त्यौहार होली की आमद है
नफ़रत और बैर-भाव बाक़ी ना रहे,, लोगों में अम्नो-अमान
और आपसी भाईचारा बना रहे...इन्ही दुआओं के साथ
आप सब को ढेरों मुबारकबाद ।
ग़ज़ल
जब करें वो , जीत की या हार की बातें करें
लोग, अब तो जंग की , हथियार की बातें करें
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल ,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी
अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें
ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए
गीत की, संगीत की , झंकार की बातें करें
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
अब फ़क़त ये आस, लफ़्ज़ों तक न रह जाए कहीं
ख़्वाब सच्चे हों , इसी आसार की बातें करें
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
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तकरार=झगड़ा
वाजिब=उचित
ज़िक्र-ए-जन्नत= स्वर्ग(काल्पनिक) लोक की चर्चाएं
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55 comments:
आपकी ग़ज़ल का मत्ला पढ़ते ही अरुण सहिबाबादी का बड़ा प्यारा शेर याद आ गया दानिश जी,शेर है;-
जंग में दोनों ही जानिब से बिखरता है लहू,
जीतने वाला भी आता है बहुत कुछ हार के.
आपकी ग़ज़ल का हुस्ने-मत्ला प्यार की पैरवी करता बहुत खूबसूरत बन पड़ा है:-
जब करें वो , जीत की या हार की बातें करें
लोग, अब तो जंग की , हथियार की बातें करें
holi ke rango mai aapne sabse payra , payaar ka rang bhara hai,ye rang jo bikhere hai aapne ,ab to doondane se bhi nahi milte happy holi with colour of love.
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
वाह !
ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए
गीत की, संगीत की , झंकार की बातें करें
नज़ाकत लिए हुए ख़ूबसूरत शेर
अब फ़क़त ये आस, लफ़्ज़ों तक न रह जाए कहीं
ख़्वाब सच्चे हों , इसी आसार की बातें करें
इन्शा अल्लाह !
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
मतला ता मक़ता एक बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल
दानिश भाई,
बहुत अच्छे हमें भी साथ रक्खें. इनायत होगी.
"छोड़ कर इन्कार हम इक़रार की बातें करें
प्यार की,बस प्यार की,बस प्यार की बातें करें.
मिल के बैठें ज़िंदगी को ठीक से समझें ज़रा
क्या ज़रूरत है हमें बेकार की बातें करें"
वक़्त है, फुर्सत भी है, मौक़ा भी है, दस्तूर भी
अब चलो दिल खोल कर दिलदार की बातें करें....
यूँ तो इस ग़ज़ल का हर शेर दिल में उतर जाने वाला है लेकिन यह शेर रोजमर्रे के जीवन में कोटेशन के रूप में बार-बार इस्तेमाल किये जाने लायक है. इस बेहद खूबसूरत और प्यारी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें.
---देवेंद्र गौतम
वाह सुंदर.
मतले की तारीफ़ के लिए कुसुमेश जी के कमेन्ट का सहारा लेना पडेगा..
बाकी आपा ने कहा ही है ....
मतला ता मक़ता एक बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल
खासकर आपका मक्ता हमारे ख्यालों के काफी नजदीक महसूस हो रहा है...
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
कितना सही फरमाया है हुजूर...
फिलहाल थोड़ी सी होली मुबारक...
बाकी होली पर...
:)
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल ,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी
अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें
Behad pasand aa gayeen ye panktiyan!
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
बहुत खूबसूरत गज़ल है ...हर शेर सन्देश देता हुआ ..
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल ,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
बहुत खूबसूरत है सारे शेर, प्यारी गज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई.
हर शेर सन्देश देता हुआ बहुत खूबसूरत गज़ल| धन्यवाद|
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
प्रेरना देती और जीने की राह दिखाती गज़ल हर एक शेर लाजवाब\ कुछ गज़लकार ऐसे हैं जिन की गज़ल पर मुझे कहने के लिये शब्द नही सूझते खास गज़लों के लिये आम सा कमेन्ट देना पडता है। बधाई।
khoobsoorat hai gazal ...sadbhavna ke sath ...
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
संवेदना और व्यावहारिक अनुभूति लिए सुन्दर ग़ज़ल ।
आपकी ग़ज़लों का हमेशा इंतजार रहता है ।
होली की शुभकामनायें दानिश जी ।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
behad rangbirangi aur prem se bhari hui ghazal hai Daanish ji.
Holi ki hardik shubhkaamnaein :-)
--Mayank
इन्हें ख्वाहिशात कहूं या दुआयें ...हैं बड़ी ही नेक ! आमीन !
बहुत ही सुंदर गजल....लाजवाब।
साहित्य प्रेमी संघ
दानिश भाई सुबह से एक ग़ज़ल पढ़ने को दिल हो रहा था, आप ने तमन्ना पूरी कर दी| बधाई बन्धुवर|
वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी
अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें
सुभान अल्ला ... क्या बात कही है दानिश जी ... वक्त, फ़ुर्सत, मौका और दस्तूर सभी कुछ तो है ....
जैसे आपकी ग़ज़ल में भी सब कुछ ही तो है ... ग़ज़ब की रवानगी, नया अंदाज़, मौसम की बात .. प्यार की सौगात ...
मज़ा आ गया सर ...
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
SUPERB !!
बहुत खूब लिखा आपने
बहुत कह दिया बुरा भला एक दूसरे को
कुछ आज अपनी बुराइयों की बात करें
क्या जाने कल हम तुमसे , मिले ना मिले
आज मिल बैठ कर , दिल से दिल की बात करें
ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए
गीत की, संगीत की , झंकार की बातें करें
वाह क्या बात है ..एक- एक शेर में जिन्दगी का फलसफा ..एक नया अंदाज ...पढ़कर आनंद आया ..आपका आभार
A fine post .Thanks for coming to my blog.
Asha
बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने! बधाई!
आज जितने ब्लॉग पढ़े, उनमें यह रचना अपनी जगह बना गयी ! आप कामयाब हैं अपनी बात कहने के लिए दानिश !!
प्यार की भाषा समझाने वाले भी बहुत कम हैं ...इस भीड़ के बीच आपको मधुर गीत बिखेरने के लिए हार्दिक शुभकामनायें !!
अब फ़क़त ये आस, लफ़्ज़ों तक न रह जाए कहीं
ख़्वाब सच्चे हों , इसी आसार की बातें करें
वाह !सही फरमाया !
गज़ल बहुत खूबसूरत है...
होली की शुभकामनायें दानिश जी ।
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..होली की हार्दिक शुभकामनायें !
सार्थक विचार, सुन्दर रचना!
आदरणीय दानिश जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
रंग भरा सलाम !
क्या बात है हुज़ूर ! जब भी लिखा , बेहतरीन लिखा …
आज की ग़ज़ल का भी हर शे'र क़ोट करने लायक है …
प्रासंगिक होने के कारण यह शे'र उद्धृत कर रहा हूं …
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए शुक्रिया !
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जनाब दानिश साहिब, क्या लाजवाब ग़ज़ल कही है.
मेरा पसंदीदा शेर तो ये है...
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
सलाम.
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिइस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें ल बैठें कभी, कुछ प्यार की bahut khubsurt gajal hai a apki....likhte rahiye...humare blog pe aane ki lie dhanybad...
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी,इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें कुछ प्यार की बातें करें.....bahut khubsurat rachna hai aapki...likhte rahiye...numare blog pe aane ke lie dhanybad....
Khoobsurat ghazal hai Danish ji
वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी
अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें...
क्या शेर कहे हैं आपने, बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल है !
'जिंदगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए
गीत की, संगीत की, झंकार की बातें करें'
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सुन्दर भाव का बेहतरीन शेर ........उम्दा ग़ज़ल
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
वाह शुभान अल्लाह...
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है दानिश जी...
सादर शुभकामनाएं...
जब करें वो , जीत की या हार की बातें करें
लोग, अब तो जंग की , हथियार की बातें करें
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बहुत ही दमदार शेर है आपका. सच कहूं तो पूरी ग़ज़ल ही दमदार है. मैं तो आपका फैन हो गया हूँ. मेरी बधाई स्वीकारें
ज़िन्दगी के साज़ पर छेड़ें तराने हम नए
गीत की, संगीत की , झंकार की बातें करें
इस बदलते दौर में हम क्यों रहें पीछे भला
वक़्त के साथी बनें , रफ़्तार की बातें करें
बहुत रोचक तरीके से बताया है आपने
बहुत पसंद आया अंदाजे बयां आपका
इस बेहद खूबसूरत और प्यारी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें.
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
आमीन! यही तो चाहिए ... अब हम ज़न्नत में जाने की बातें छोड़कर इसी धरती को ज़न्नत बनाने लग पड़े तो कितना अच्छा हो !
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
wow...awesome !
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क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ कि मिल बैठें कभी कुछ प्यार की बातें करें
बढ़िया शेर, बढ़िया ग़ज़ल।
प्यार की बातों से ही बात बनती है।
bahut achcha likha hai aapne
बहुत उम्दा शायरी !
बाउजी कमाल हो गया...कभी हमने भी इसी तरह की एक ग़ज़ल कही थी...आप जैसी पुख्ता तो नहीं कह पाए क्यूँ के आप आप हैं हुज़ूर और आपने सामने हम तो ख़ाक हैं हुज़ूर...उसी ग़ज़ल के चंद शेर पेश करता हूँ शायद आपको याद आ जाए...वैसी दिली हसरत है कभी खुदा हमसे भी आप जैसा लिखवाये...
तीर खंजर की ना अब तलवार की बातें करें
जिन्दगी में आइये बस प्यार की बातें करें
टूटते रिश्तों के कारण जो बिखरता जा रहा
अब बचाने को उसी घर बार की बातें करें
थक चुके हैं हम बढ़ा कर यार दिल की दूरियां
छोड़ कर तकरार अब मनुहार की बातें करें
दौड़ते फिरते रहें पर ये ज़रुरी है कभी
बैठ कर कुछ गीत की झंकार की बातें करें
तितलियों की बात हो या फिर गुलों की बात हो
क्या जरुरी है कि हरदम खार की बातें करें
कोइ समझा ही नहीं फितरत यहां इन्सान की
घाव जो देते वही उपचार की बातें करें
काश 'नीरज' हो हमारा भी जिगर इतना बड़ा
जेब खाली हो मगर सत्कार की बातें करें
क्या ज़रूरी है कि हम तक़रार की बातें करें
आ, कि मिल बैठें कभी, कुछ प्यार की बातें करें
रंग होली के , बसंती राग , बैसाखी का ढोल ,
मौसमों का ज़िक्र हो , त्यौहार की बातें करें
वक़्त है , फुर्सत भी है , मौक़ा भी है , दस्तूर भी
अब चलो, दिल खोल कर दिलदार की बातें करें
अहा दानिश जी, मजा आगया
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल........
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व तथा नवसंवत्सर 2068)की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।
बहोत अच्छे! ये बात सब से झियादा पसंद आयी...
है यही वाजिब कि 'दानिश' ज़िक्र-ए-जन्नत छोड़ कर
हम इसी दुनिया , इसी संसार की बातें करें
इस मतलबी और प्रोफेशनल दुनिया में
आओ , दो घड़ी बेकार की बातें करें
achchhi poem hai ... kudos
Karne ko karte rahen log, Gul aur Gulzaar ki baaten karen,
Mere lie to khushi haasil hai, jab aapke ashaar ki baaten karen !!!
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Zabardast. Bhot din baad blog duniya me aaya, iske lie maafi dijiye.
Regards
जब करें वो ,जीत की या हार की बातें करें
लोग,अब तो जंग की,हथियार की बातें करें
चूँ कार अज हमा हीलते दर गुजश्त
हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त ...!!
यदि हर तरह के उपाय करने पर भी दुष्ट अपनी नीचता नहीं छोड़ते तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है ....
vaah!
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