Sunday, June 19, 2011

प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है
क़ुदरत खिलखिलाती है मानो ज़िन्दगी खिलखिलाती है

खुले आसमान में आज़ादी से उड़ते परिंदे हर बार
अपनी मासूम ज़बान में किसी ना किसी

रूप में कोई ना कोई अच्छा पैग़ाम दे ही जाते हैं....
ख़ैर,,, एक नज़्म हाज़िर--ख़िदमत है .........





नन्ही चिड़िया



रोज़ सुबह
भोर के उजले पहर में
सूरज की मासूम किरणों सँग
मेरे घर की तन्हा मुंडेर पर
वक्त की पाबंदी
और
फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर
इक नन्ही-सी चिड़िया
यहाँ-वहाँ बिखरा
दाना-दुनका चुगती
उडती ,
फुदकती ,
चहचहाती है
शुक्र अल्लाह !!
आज ऐसी भीड़ में भी
ज़िन्दगी...
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...



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42 comments:

kshama said...

शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में....
ज़िन्दगी
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...
Wah! Kitna khoobsoorat khayal hai!

मीनाक्षी said...

बेहद खूबसूरत भाव..काश कि हम सब कुदरत के साथ कुछ देर खिलखिला सकें मुस्कुरा सके...

इस्मत ज़ैदी said...

वक्त की पाबंदी
और
फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर
..................


शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में भी
ज़िन्दगी...
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...

आज के दौर की परेशानकुन ज़िंदगी में ये मासूमियत ही राहत का सबब होती है और आज़ाद फ़िज़ाओं में परवाज़ करते हुए परिंदे
पुर उम्मीद ज़िन्दगी का पैग़ाम देते हैं
बहुत ख़ूब !!!

devendra gautam said...

ज़िन्दगी...
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...

....बहुत ही अच्छी नज़्म है दानिश भाई! बिल्कुल प्रकृति के करीब. सबकी आँखों के सामने अक्सर दिखाई देने वाले मंज़र से निकलती बात.
---देवेंद्र गौतम

surjit said...

Very nice and fresh ! I really enjoyed it.

रचना दीक्षित said...

शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में....
ज़िन्दगी
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...

बेहतरीन जज़्बात बड़ी मासूमियत से दिल से निकले हुए लगते हैं. आफरीन.

रविकर said...

कुछ पल ही सही
जो हँसती खेलती मुस्कराती है |
प्यार & संतुष्टि के गीत गाती है |
जीती है जिलाती है |
चुगती है चुगाती है |
प्रकृति के नजदीक रहती है
ले जाती है |
खुश रहती है -
मन बहलाती है |

वो ही जिंदगी कहलाती है ||

Kunwar Kusumesh said...

क्योंकि वो एक चिड़िया है.इन्सान होती तो दांव-पेंच में लग जाती.जैसे सब लगे हुए हैं.

Bharat Bhushan said...

'वक्त की पाबंदी और फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर' एक ज़िंदगी का ज़िंदग़ी जैसा दिखना अपने आप में अद्भुत अनुभूति है.
एक दिन दिल्ली के एक चौक पर कोयल की आवाज़ सुन मैं चौंक गया. पहला ख़्याल यही आया कि यह यहाँ क्या कर रही है. पर वह ज़िंदगी थी. वहाँ थी. आपकी नज़्म मुझे उसी चौक पर ले गई.

Amrita Tanmay said...

Muskuraate huye maje se jeeyo kah jaati hai..shubhakaamana

पारुल "पुखराज" said...

प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है ....

अशोक सलूजा said...

मासूम चिड़िया ,का मासूम सन्देश !

कभी कभी ऐसे भी, गुन-गुना लेना चाहिए
हो मौसम सुहाना तो, मुस्करा लेना चाहिए|

खुश रहिये!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मासूम चिड़िया सुन्दर सन्देश दे रही है ... खूबसूरत ख्याल

दिगम्बर नासवा said...

पंची तो ऐसे ही हँसते खेलते मुस्कुराते अहिं ... बस इंसान ही उलझता जा रहा है ... खूबसूरत भाव हैं ...

virendra sharma said...

शुक्र अल्लाह का इस भीड़ में भी
ज़िन्दगी कुछ पल ही सही हंसती ,खेलती ,मुकुराती है ....
सूक्ष्म अन्वेषण और दृष्टि ,चिड़िया के मार्फ़त ज़िन्दगी के विपरीत हालत की बयानी भी और उम्मीदी भी .

डॉ टी एस दराल said...

काश , नन्ही चिड़िया से ही हँसना खेलना सीख लें ।
सुन्दर सरल शब्दों में सार्थक नज़्म ।

Manish Kumar said...

बहुत खूब रहा ये ख्याल भी !

Alpana Verma said...

'वक्त की पाबंदी
और
फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर'
कुछ पल को सही मगर इस तरह कभी -कभी खिलखिलाती रहे ....भागती-दौडती ज़िंदगी के लिए इतना भी काफी है.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह... वाह... बहुत सुन्दर...
सादर....

Vaanbhatt said...

जिंदगी में इन नेमतों के लिए समय निकलना भी सराहनीय है...सुन्दर रचना...

Parasmani said...

Those were the carefree days of childhood when I used to watch that "nanhi chidiya".
Aaj ki masroof zindagi mein agar chidiya aa ke meri naak pe bhi baith jaye to mujhe pataa nahin chalega.
Jaane kahan gaye wo din...

विशाल said...

ज़िन्दगी को खोजने पर ज़िन्दगी मिल ही जाती है'

बहुत खूब,भाई जान.

shikha varshney said...

शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में....
ज़िन्दगी
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है
आह बेहद प्यारी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है.

manu said...

भूषन साहब को आपकी नज़्म दिल्ली के उस चौक पर ले गयी...


और हमें आपकी मुंडेर पर...सुबह के करीब साढ़े छः - सात बजे के आसपास....आपके साथ बिताए वो पल...उस नन्ही चिड़िया को टकटकी लगाए देखते जाना...

फिर उसके पास जाने की कोशिश..साथ ही ये खटका भी ...कहीं उड़ ना जाए...

आपके यहाँ इसे घुग्घी कहते हैं...आपने ये भी बताया था...


सुबह सुबह आज वो सुहानी सुबह याद आ गयी...


रात में शायद आलू गोभी की सब्जी, मटर पनीर, चावल और रायते के साथ कुछ बेहद लज़ीज़ रोटियाँ भी to खायीं थी ना....!

aur wo hotel ki mast kar dene waali baithaki...

सदा said...

शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में....
ज़िन्दगी
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...
वाह ... बहुत खूबसूरत शब्‍द ।

Amit Chandra said...

वाह क्या बात कही है आपने। दिल में उतर गई। सुन्दर अति सुन्दर।

निर्मला कपिला said...

जब चिडिया को घोंसला बनाते हुये बच्चों को सहेजते देखती हूँ तो उनके निर्लिप्त ,स्वार्थ रहित स्वभाव से मन मे एक बात उठती है कि इन्साँ बच्चों को पालता है दिल मे कितनी आपेक्षायें लिये हुये लेकिन पशु पक्षी बिना किसी स्वार्थ के अपना सृजन धर्म निभाते हैं और सुखी रहते हैं। तभी तो कुछ पल वो हंस मुस्कुरा लेती है। अच्छी रचना के लिये बधाई।

निर्मला कपिला said...

दानिश जी आप लुधियाना मे रहते हैं क्या बता सकते हैं कि ज्योतिश की सार्थकता वाले पंडीत दिनेश वत्स जी--- http://blog.panditastro.com/ आजकल कहाँ हैं फरबरी के बाद उनकी कोई पोस्ट भी नही आयी। अगर पता कर सकें तो बतायें। ईमेल की थी मगर जवाब नही आया। धन्यवाद।

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

मालिक आप तो क्षणिकाओं में भी गजब ढा रहे हैं|

Pawan Kumar said...

बेहद खूबसूरत भाव..कुदरत के साथ कुछ देर खिलखिलाने का मौका दिया इस रचना ने...... पुरसुकून पोस्ट. ... आभार.......
!!!!!

Prof.kamala Astro-Fengshui Vastu and Metaphysics said...

bahut din baad likha n apke blog par aayi apki kavita padhi acha laga.

Prof.kamala Astro-Fengshui Vastu and Metaphysics said...

i try my best to write like other all good poets but fail, as i love to write what i feel.i do not know how to to write like a poet, my feelings become my writing.

Kavita Saharia said...

Beautiful thought ,beautifully expressed.

Dr.Bhawna Kunwar said...

Bahut khubsurat...

Urmi said...

सुदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बहुत प्यारी रचना!

रेखा said...

सुन्दर भाव ..कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ..

Shabad shabad said...

ज़िन्दगी का पैग़ाम देते... खूबसूरत भाव..
ज़िन्दगी...
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ....
सुन्दर सन्देश दे रही है एक चिड़िया ...

नश्तरे एहसास ......... said...

ज़िन्दगी...
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...

bahut sunder bhaav ukere hain aapne,aabhar.
chote se hi sahi par bahut gehre pal hote hain in choti choti khshiyon mein.

seema gupta said...

शुक्र अल्लाह !!
आज की भीड़ में....
ज़िन्दगी
कुछ पल ही सही
हँसती ,
खेलती ,
मुस्कराती है ...
"wah jindgi aavaj de rahi hai..."

हरकीरत ' हीर' said...

वक्त की पाबंदी
और
फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर

कहीं इक दर्द छिपा है इन पंक्तियों में ......

आपकी क्षणिकाओं का इन्तजार है ......

nature7speaks.blogspot.com said...

zindagi ko khushgavar banana ho toh yeh kavita se seekhen...achhi kavita.

nature7speaks.blogspot.com said...

ham har pal udhed bun men lage hai.kaise khel sakte hai chidiyon kee tarah. jeene kee rah dikhahi hui kavita. sunder bhav.
www..nature7speaks.blogspot.com