खामोशी के किन्हीं ज़्यादा खिंच गए पलों को
कम करने में कारगर साबित होता है ...
कुछ न कहने से, कुछ कह दिया गया कहते रहना ,
आपको अपनी मौजूदगी का अहसास दिला ही जाता है...
फेस बुक पर छपी एक ग़ज़ल यहाँ भी हाज़िर है,,,
आप इसे ब्लॉग पर पहले भी पढ़ चुके हैं !!
ग़ज़ल
दाता , नाम कमाई दे
साँसों में सच्चाई दे
दर्द-ओ-ग़म हँसके सह लूँ
हिम्मत को अफ़ज़ाई दे
मेहनत-कश लोगों को तू
मेहनत की भरपाई दे
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
एक सनम मेरा भी हो
मुख़लिस , या हरजाई , दे
हर दिल में हो नाम तेरा
हर दिल को ज़ेबाई दे
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
आँगन-आँगन खुशियाँ हों
घर-घर में रा'नाई दे
पल-पल सच्ची राह चुनूँ
'दानिश' को अगुवाई दे
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अफजाई=अफ्जायिश/वृद्धि
मुख्लिस=निश्छल/सद्भावक
ज़ेबाई=श्रृंगार/सजावट
वुस अत =विस्तार/सामर्थ्य
रा`नाई= सुन्दरता/छटा/सौन्दर्य
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54 comments:
छोटी बहर की बेहद खूबसूरत ग़ज़ल| काफ़ियों का निर्वाह करना आप से सीखना पड़ेगा|
अपुन तो खुद विद्यार्थी हैं, तो बस एंजॉय कर रहे हैं| क़ैफ़ियत अपनी जगह होती है और भावों का संप्रेषण अपनी जगह| भाई जी इसी लिए तो कभी हमने कहा था:-
कभी पाठक की तरह भी किसी के काम को देखें|
नहीं हर बार टीका-टिप्पणी की दृष्टि से देखें||
बहुत बहुत मुबारक़बाद सर जी|
आदरणीय दानिश जी
आदाब !
सादर सस्नेहाभिवादन !
आपकी ग़ज़लें ऐसी होती हैं कि मैं तो हमेशा ही हर ग़ज़ल दो-तीन बार तो पढ़ता ही हूं …
इतनी ख़ूबसूरत गज़ल फिर से पढ़ने का अवसर देने के लिए आभारी हूं जनाब !
…और मैं तो फेसबुक पर आता ही नहीं …
पूरी ग़ज़ल कोट किए जाने लायक है
ऐसी ग़ज़लियात ऊपरवाले की मेह्रबानी से ही लिखी जाती हैं … जितनी ता’रीफ़ करूं , कम है …
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
हर दिल में हो नाम तेरा
हर दिल को ज़ेबाई दे
वाह, दानिश साहब,
बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने।
छोटी बहर, बड़े अर्थ...
बहुत सुंदर भाव लिए सुंदर गहनाभिब्यक्ति /बधाई आपको /
kya kahane sir ji....bahut khub likha hain........sundar aur pyari gajal
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
वाह भाई दानिश साहब! छोटी बहर में क्या खूब अशआर हुए हैं. दिल खुश हो गया. मेरी बधाई स्वीकार करें
मुफलिस भाई, आप के कहन के क्या कहने. मैं भले न आ पाऊं पर आप की गजलों का मिजाज मन मोह लेता है
बेहतरीन, लाजवाब!
हर दिल में हो नाम तेरा
हर दिल को ज़ेबाई दे
जिन दिलों में उस ख़ुदा का नाम होगा उस की तो ज़ेबाइश ही अलग होगी
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
इस दुआइया ग़ज़ल के अश’आर ख़यालात के वसी’अ और नेक होने के ज़ामिन हैं
बहुत ख़ूब !!
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे ....
ਲਫ਼ਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸੁਣਵਾਈ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਦਿਲ ਨੂੰ ਚੈਨ ਆਵੇ ।
ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਵਿਚਾਰ ਨੇ।
ਵਧਿਆ ਲਿਖਤ ਲਈ ਵਧਾਈ ਦੇ ਹੱਕਦਾਰ ਹੋ।
ਹਰਦੀਪ
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे
वाह! बहुत खुबसूरत तमन्ना है सर,
इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए सादर आभार...
daanish saheb;
adaab arj hai...
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
ye pahli baar nahi hua hai ki aapki gazal ka har sher man ko bha gaya hai ..
guruwar , pranaam sweekar kare.
maine bhi ek kavita likhi hai ./..... http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
aapka
vijay
दर्द-ओ-ग़म हँसके सह लूँ
हिम्मत को अफ़ज़ाई दे
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
हर एक शेर लाजवाब। बधाई।
khoobsurat gazal.. chhote bahar kee umda gazal...
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे ...
पहले तो आप ये बताएं की बातें करते हुवे इतने लाजवाब शेर कैसे कह लेते अहिं ... पूरी गज़ल ऐसे लग रही है जैसे बातचीत हो रही है ...
अभी बहुत कुछ बाकी है आपसे सीखना ...
बहुत सुन्दर प्रार्थना है ।
भाई जान छोटी बहर में क़यामत बरपा कर दी है आपने...सुभान अल्लाह...भाई मज़ा आ गया...कसम से ढेरों दाद कबूल कर लो...
नीरज
मोहतरम दानिश साहब, हालांकि ग़ज़ल पहले भी पढ़ी है, एक बार फिर से पढ़कर वही अहसास हुआ...हर शेर अपने आप में मुकम्मल है...मुबारकबाद कुबूल फ़रमाएं.
ग़ज़ल का ये रूप...अत्यंत प्रसंशनीय है...
मेहनत-कश लोगों को तू
मेहनत की भरपाई दे
बहुत खूब...
कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी
"हर दिल में हो नाम तेरा
हर दिल को ज़ेबाई दे"
अति सुन्दर और अनुपम.
हर शब्द अपनी गहन छाप छोड़ रहा है.
शानदार प्रेरणास्पद अभिव्यक्ति के लिए
बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
bahut badhia gazal ...
itni pasand aayi hamne blog hi follow kar liya ...
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
एक सनम मेरा भी हो
मुख़लिस , या हरजाई , दे
वाह दानिश जी, बहुत खूब ग़ज़ल कही है छोटी बहर में.
बहोत पसंद आयी ये रचना जो प्रार्थना भी है...
Aameen !!!!
Janaab Daanish Sahab
Bohot shaandaar ghazal ke liye mubarakbaad.
Mera pasandeeda sher:
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे
Wah Wah!!!
बहुत सही कहा आप ने कि बहुत ख़ामोशी में कही बातों को दोहरा देना ही बेहतर लगता है.लेकिन जो फेसबुक पर सक्रीय नहीं हैं उन्होंने तो यह पहली बार ही पढ़ी है..[जैसे मैंने]
ग़ज़ल का हर शेर अपने आप में लाजवाब है ..सभी कम शब्दों में अपनी बात प्रभावी ढंग से कह रहे हैं.
यह शेर ख़ास लगा...
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे.
ऐसी प्रार्थना स्वीकार हो जाये तो भाव कभी ठहरें ही न ..उनका अनवरत प्रवाह जारी रहे.
यह भी बहुत पसंद आया..
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
...बहुत उम्दा ख्याल!
आपका गज़ल कहने का अंदाज़ अद्भुत है दानिश जी. सीधे दिल पर चोट करती है. आभार.
खूबसूरत अभिव्यक्ति .....बेहतरीन ग़ज़ल .....आभार
छोटे बहर पर उम्दा और दिलचस्प ग़ज़ल
दाता , नाम कमाई दे
साँसों में सच्चाई दे
बहुत सुन्दर.......
मेहनत-कश लोगों को तू
मेहनत की भरपाई दे
बहुत अच्छे दोस्त.....!!!
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहरई दे
आपकी दुआएं कामयाब हों.....!
दानिश जी
बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने।
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
bahut khub gazal hai .har sher lajavab hai
rachana
दानिश साहब छोटी बहर की ग़ज़ल का हर अशआर खुद में एक नगमा ,ग़ज़ल के अन्दर ग़ज़ल ,हर शैर सम्पूर्ण ,मेरे जैसों के लिए जिन्हें हर लफ्ज़ के मानी जानने होतें हैं "मायने "देकर "लफ्ज़ दर लफ्ज़ बहुत अच्छा काम किया .बहुत अच्छा लगा -
एक मज़ाक करने का हौसला रखता हूँ ज़नाब से ये अशआर निगेटिव है इसे पोजिटिव कीजिए -
एक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो बिलकुल तेरे जैसी हो ,
मेरा चाहें कुछ भी हो तेरी ऐसी तैसी हो .
शुक्रिया आप हमारे द्वारे आये ....
आपकी ग़ज़लें पहले भी पढ़ी हैं. हर बात में नई बात है. हर पंक्ति में ताज़गी है.
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर एक से बढ़कर एक है! शानदार प्रस्तुती!
बहुत प्यारी गज़ल है.
हर एक शेर लाजवाब है.
वाह वाह.
वाह. बहुत प्यारी गज़ल. दिल खुश हो गया.
शोरो-गुल में क़ैद हूँ मैं
थोड़ी-सी तन्हाई दे ..
बहुत प्यारा शे'र लगा साहब ..फेसबुक के bajaay yahaan par padhnaa zyaadaa sukoon detaa है...
एक सनम मेरा भी हो
मुख़लिस , या हरजाई , दे
:)
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे .
बहुत tadapataa huaa शे'र है...
बहुत उम्दा बन पड़ी है नज़्म !
मुबारकबाद कबूल करें !
बेहद गहरे अर्थों को समेटती खूबसूरत और संवेदनशील रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
हैप्पी फ़्रेंडशिप डे।
Nice post .
हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं। ब्लॉग पर आयोजित होने वाली मीट में वे ब्लॉगर्स भी आ सकती हैं / आ सकते हैं जो कि किसी वजह से अजनबियों से रू ब रू नहीं होना चाहते।
मेहनत-कश लोगों को तू
मेहनत की भरपाई दे
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल। मानवीय संवेदनाओं से युक्त।
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको,रुसवाई दे
:))
Beautiful gazal like always ! Mubarak.
Surjit.
मन की इक-इक बात कहूँ
लफ्ज़ों को सुनवाई दे
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
wah kya baat hai..
कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.
बहुत दिनों के बाद आई पर क्या खूब गज़ल पढने को मिली है ।
एक एक शेर सुंदर है ।
wow :)
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मना ले ईद.
ईद मुबारक
मेरे नेक ख़यालों को
वुसअत औ` गहराई दे
sunder sher puri gazal hi kamal hai
rachana
lfzo ko sunwaai de . wah! kya bat hai .bhut khoob .
दाता जी अब पोस्ट बदलिए .....
दानिश जी, खुश रहिए! क्या बात है ?
चैन मिले जो यूँ उसको
दे , मुझको , रुसवाई दे....
aamin !!
ek aur lajawab...lafzon ka driya ...
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