Sunday, February 12, 2012

वक़्त और हालात की अपनी अलग चाहतें हैं
मन का बहलना या बुझ जाना,
सब इन्हीं चाहतों के वश में ही रहता है
किसी तरह के भी ख़ालीपन को भरते रहने की कोशिश
करते रहना अहम भी है और ज़रूरी भी .
ख़ैर , एक ग़ज़ल के चंद शेर हाज़िर हैं ......



ग़ज़ल

शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए

बात, आई-गई हो गई
ख़त्म सारे फ़साने हुए

आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए

याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए

दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए

भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए

ख़ैर , 'दानिश' तुम्हे क्या हुआ
क्यूँ अलग अब ठिकाने हुए

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25 comments:

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही सर...
सादर बढ़ाई...

Vaanbhatt said...

दोस्त सारे सयाने हुए...

जिंदगी के बहाने बनाये रखने होंगे...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए

दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए

बहुत खूबसूरत गजल ...

अनुपमा पाठक said...

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
waah!

vidya said...

वाह...
याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए..
बहुत खूब....

kshama said...

Behad khoobsoorat!

रश्मि प्रभा... said...

आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए...waah

अशोक सलूजा said...

'दानिश' जी आज सुना दिया आपने सब वो
जिसे सुनने को बीते.... जमाने हुए ||
बेहतरीन!
खुश रहें !

सदा said...

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
वाह ...बहुत खूब ।

Parasmani said...

Shauk dil ke, aapsi wo aur bhool pana....bahot achchhe ...

डॉ टी एस दराल said...

खूबसूरत ग़ज़ल है लेकिन
भला दोस्त क्यों बेगाने हुए !

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए

दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए

बहुत खुबसूरत गज़ल
पढ़कर आनंद आ गया !!!

Prof.kamala Astro-Fengshui Vastu and Metaphysics said...

daanishji apki ye gazal bahut hi achchi lagi kuchch lines to bahut hi behtar .....dost saare syane huye

अंजना said...

nice

Dr.NISHA MAHARANA said...

भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए.bahut khoob.

Pushpendra Vir Sahil पुष्पेन्द्र वीर साहिल said...

शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए...

waahhh ! bahut khoobsurat !

कविता रावत said...

भूल पाना तो मुमकिन न था शाइरी के बहाने हुए
ख़ैर , 'दानिश' तुम्हे क्या हुआ क्यूँ अलग अब ठिकाने हुए
...bahut khoob!

G.N.SHAW said...

सुन्दर गजल !एकांत में ही मजा है ! एकांत में दोस्त की जरुरत पड़ती है , दोस्तों की नहीं !

Dr.Bhawna Kunwar said...

Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila... bahut achchhi gazal hai ye bahut2 badhai...

Dr.Bhawna Kunwar said...

Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila... bahut achchhi gazal hai ye bahut2 badhai...

Asha Joglekar said...

आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए

याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए

बेहतरीन दानिश साहब ।

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए

भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए

hmmm aisa hi hota hai....

badhiya sher....

Kunwar Kusumesh said...

खूबसूरत गजल .

Happy holi and Mahila divas both.

दीपिका रानी said...

वाह वाह वाह!!!

Asha Joglekar said...

शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए

पर आपकी शायरी तो चिर नवीन है ।