वक़्त और हालात की अपनी अलग चाहतें हैं
मन का बहलना या बुझ जाना,
सब इन्हीं चाहतों के वश में ही रहता है
किसी तरह के भी ख़ालीपन को भरते रहने की कोशिश
करते रहना अहम भी है और ज़रूरी भी .
ख़ैर , एक ग़ज़ल के चंद शेर हाज़िर हैं ......
ग़ज़ल
शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए
बात, आई-गई हो गई
ख़त्म सारे फ़साने हुए
आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए
दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए
आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए
दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए
भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए
ख़ैर , 'दानिश' तुम्हे क्या हुआ
क्यूँ अलग अब ठिकाने हुए
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25 comments:
दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए
आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही सर...
सादर बढ़ाई...
दोस्त सारे सयाने हुए...
जिंदगी के बहाने बनाये रखने होंगे...
याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए
दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए
बहुत खूबसूरत गजल ...
आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
waah!
वाह...
याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए..
बहुत खूब....
Behad khoobsoorat!
आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए
दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए...waah
'दानिश' जी आज सुना दिया आपने सब वो
जिसे सुनने को बीते.... जमाने हुए ||
बेहतरीन!
खुश रहें !
दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए
आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
वाह ...बहुत खूब ।
Shauk dil ke, aapsi wo aur bhool pana....bahot achchhe ...
खूबसूरत ग़ज़ल है लेकिन
भला दोस्त क्यों बेगाने हुए !
आपसी वो कसक अब कहाँ
बस बहाने , बहाने हुए
दूरियाँ और मजबूरियाँ
उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए
बहुत खुबसूरत गज़ल
पढ़कर आनंद आ गया !!!
daanishji apki ye gazal bahut hi achchi lagi kuchch lines to bahut hi behtar .....dost saare syane huye
nice
भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए.bahut khoob.
शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए...
waahhh ! bahut khoobsurat !
भूल पाना तो मुमकिन न था शाइरी के बहाने हुए
ख़ैर , 'दानिश' तुम्हे क्या हुआ क्यूँ अलग अब ठिकाने हुए
...bahut khoob!
सुन्दर गजल !एकांत में ही मजा है ! एकांत में दोस्त की जरुरत पड़ती है , दोस्तों की नहीं !
Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila... bahut achchhi gazal hai ye bahut2 badhai...
Lmbi bimari ke baad aap sabko padhne ka avsar mila... bahut achchhi gazal hai ye bahut2 badhai...
आँख ज्यों डबडबाई मेरी
सारे मंज़र सुहाने हुए
याद ने भी किनारा किया
ज़ख्म भी अब पुराने हुए
बेहतरीन दानिश साहब ।
दिल में है जो, वो लब पर नहीं
दोस्त सारे सयाने हुए
भूल पाना तो मुमकिन न था
शाइरी के बहाने हुए
hmmm aisa hi hota hai....
badhiya sher....
खूबसूरत गजल .
Happy holi and Mahila divas both.
वाह वाह वाह!!!
शौक़ दिल के पुराने हुए
हम भी गुज़रे ज़माने हुए
पर आपकी शायरी तो चिर नवीन है ।
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