रुक-से जाते हैं .... ढूँढना, बस ढूँढना ही
चारा रह जाता है ,,, कभी कभी ....
एक ग़ज़ल हाज़िर करता हूँ ...
ग़ज़ल
जो तेरे साथ-साथ चलती है
वो हवा, रुख़ बदल भी सकती है
क्या ख़बर, ये पहेली हस्ती की
कब उलझती है, कब सुलझती है
वक़्त, औ` उसकी तेज़-रफ़्तारी
रेत मुट्ठी से ज्यों फिसलती है
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी
ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है
ज़िक्र कोई, कहीं चले , लेकिन
बात तुम पर ही आ के रूकती है
ग़म, उदासी, घुटन, परेशानी
मेरी इन सबसे खूब जमती है
अश्क लफ़्ज़ों में जब भी ढलते हैं
ज़िन्दगी की ग़ज़ल सँवरती है
नाख़ुदा, ख़ुद हो जब ख़ुदा 'दानिश'
टूटी कश्ती भी पार लगती है
--------------------------------------------------------
37 comments:
bahut khoob........
behatreen gazal...........
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी
ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है...bahut badhiyaa
बहुत खूबसूरत गजल ...
सुप्रसिद्ध, लोकप्रिय साहित्यकार
और सिद्धहस्त गज़लकार
इस्मत जैदी 'शेफ़ा' द्वारा ईमेल से प्रेषित टिप्पणी ...
जो तेरे साथ-साथ चलती है
वो हवा, रुख़ बदल भी सकती है
बहुत ख़ूब !!ज़िंदगी की हक़ीक़त को बयाँ करता हुआ मतला
क्या ख़बर, ये पहेली हस्ती की
कब उलझती है, कब सुलझती है
फ़लसफ़ ए हयात को अल्फ़ाज़ का जामा पहना कर सँवार दिया आप ने
वक़्त, औ` उसकी तेज़-रफ़्तारी
रेत मुट्ठी से ज्यों फिसलती है
सुबहानअल्लाह !!!सच है हर लम्हा हाथ से यूँ फिसल जाता है जिसे हम दोबारा हासिल ही नहीं कर सकते
ग़म, उदासी, घुटन, परेशानी
मेरी इन सबसे खूब जमती है
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है दानिश साहब. बधाई इतनी सुन्दर रचना के लिए, और आभार इसे पढवाने के लिए :) अब कमेन्ट गायब हुए बिना पब्लिश हो जाए, तो धन्यवाद भी :)
.
# मेरा एक कमेंट जो अभी किया था … कहां गायब हो गया … स्पैम में तलाश करके पब्लिश करने की मेहरबानी करें ।
.
होली पर शुभकामनाएं ले'कर हाज़िरे-ख़िदमत नहीं हो पाया था…
विलंब से ही सही
स्वीकार करें मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
****************************************************
♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
****************************************************
~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥
♥
आदरणीय दानिश जी
सस्नेहाभिवादन !
आदाब !
प्रणाम !
वक़्त, औ` उसकी तेज़-रफ़्तारी
रेत मुट्ठी से ज्यों फिसलती है
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
ज़िक्र कोई, कहीं चले , लेकिन
बात तुम पर ही आ के रूकती है
ग़म, उदासी, घुटन, परेशानी
मेरी इन सबसे खूब जमती है
अश्क लफ़्ज़ों में जब भी ढलते हैं
ज़िन्दगी की ग़ज़ल सँवरती है
नाख़ुदा, ख़ुद हो जब ख़ुदा 'दानिश'
टूटी कश्ती भी पार लगती है
हुज़ूरेआला, पूरी ग़ज़ल कोट करने को जी करता है … समझ नहीं पा रहा कि किस किस शे'र की कैसे तारीफ़ करूं ?
# आपकी हर ग़ज़ल पढ़ता हूं … अक्सर बिना कुछ कहे निकल लेता हूं … कारण, आपके हुनर , आपकी ग़ज़लगोई , आपकी अदबीयत के अनुरूप शब्द नहीं होते मेरे पास ।
कितना भी कहलूं … मगर बहुत कुछ शेष रह जाएगा ।
एक शे'र पेशे-ख़िदमत है-
तुम सुना करते ,हम कहा करते
काश दिल ही ज़ुबां हुआ होता
हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी
ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है
वाह बहुत खूब.
Bohot achha.. Badhayi sweekaar karein!
ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी
ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है
पूरी की पूरी गज़ल बेहद खूबसूरत ।
पूरी ग़ज़ल अच्छी है..... सरे शेर दिलकश...... इस शेर में क्या मंज़र खींचा है आपने........
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
इसके आलावा यह शेर खूब बढ़िया रहा....
ग़म, उदासी, घुटन, परेशानी
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर गजल,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....
बहुत खूब....
ग़म, उदासी, घुटन, परेशानी
मेरी इन सबसे खूब जमती है
ये अँधेरे मुझे इस लिए हैं पसंद
इनमें साया भी अपना दिखाई न दे .....
http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/4.html
बहुत बढिया!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
मन करता है कि आपको आवाज़ दूँ और सुनता रहूँ , सुनता रहूँ....!!
बहुत खूबसूरत गजल
सुन्दर प्रस्तुति.....
पूरी गज़ल बेहद खूबसूरत है।
मगर ये बेहतरीन भाव है
क्या ख़बर, ये पहेली हस्ती की
कब उलझती है, कब सुलझती है
ज़िक्र कोई, कहीं चले , लेकिन
बात तुम पर ही आ के रूकती है
muhabbat chij hii aisi hai .....:))
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
badhiya gajal....
मुस्कुराता है घर का हर कोना
धूप आँगन में जब उतरती है
Bahut khub!
bahut behtareen...
Nice
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
अश्क लफ़्ज़ों में जब भी ढलते हैं
ज़िन्दगी की ग़ज़ल सँवरती है
क्या बात है .....
अब ब्लॉग को बंद मत कीजिये कुछ नया डाल दीजिये नए वर्ष में .....
वक़्त, औ` उसकी तेज़-रफ़्तारी
रेत मुट्ठी से ज्यों फिसलती है
क्या बात है
Har sher ek nayab moti . behad khoobsurat gazal.
ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी
ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है
ye sher to bas kamal hai.
बहुत दिनों से आप ने लिखा नही ।
जो तेरे साथ-साथ चलती है
वो हवा, रुख़ बदल भी सकती है...बहुत खूब दानिश साहब, बहुत सुन्दर.....
बढ़िया है जी
जो तेरे साथ-साथ चलती है
वो हवा, रुख़ बदल भी सकती है
क्या ख़बर, ये पहेली हस्ती की
कब उलझती है, कब सुलझती है
बहुत बेहतरीन गज़लें हैं सर आपकी ....साधुवाद !!!!
♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
❋❀✿❃❀❋❀❃❀✿❋✿❀❃❀❋❀❃✿❀❋
परम स्नेही भाईजी
♥ आदरणीय दानिश भारती जी ♥
आपके जन्मदिवस के मंगलमय अवसर पर
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
-राजेन्द्र स्वर्णकार
✫✫✫...¸.•°*”˜˜”*°•.♥
✫✫..¸.•°*”˜˜”*°•.♥
✫..•°*”˜˜”*°•.♥
❋❀✿❃❀❋❀❃❀✿❋✿❀❃❀❋❀❃✿❀❋
♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥♡♥
बहुत दिनों से आपका लिखा पढा नही ।
फिर से लीजिये कलम को हाथों में,
शायरी आपकी तो बहती है।
Post a Comment