Tuesday, July 7, 2015

--- ग़ज़ल ---

'हाँ' , 'ना' कहना सीखो जी
रौब न सहना , सीखो जी

कुछ अपने, कुछ दूजों के
रंग में रहना, सीखो जी

कल-कल करती नदियों से
पल-पल बहना सीखो जी

छाँव भले ललचाती हो
धूप भी सहना सीखो जी

मीठे बोल, मधुर लहजा
सुन्दर गहना ! सीखो जी

वक़्त की मर्ज़ी के आगे
कुछ-कुछ ढहना सीखो जी

जब कहने को बात न हो
तब चुप रहना सीखो जी

शब्द तो कहते हो "दानिश"
अर्थ भी कहना सीखो जी

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